Excise Policy Scam: दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया हुए गिरफ्तार, जाने क्या है पूरा मामला…

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Excise Policy Scam: Delhi's Deputy CM Sisodia arrested primenews
Excise Policy Scam: Delhi's Deputy CM Sisodia arrested primenews

Excise Policy Scam: 2021-22 की नई आबकारी नीति लागू करने के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर बीते दिन यानी 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की है। सिसोदिया पर खातों में हेरफेर करने,सबूत मिटाने और भ्रष्टाचार अनुचित लाभ देने और लेने का आरोप लगाया गया है।

इस मामले में जब भ्रष्टाचार के आरोप सिसोदिया पर लगे तो दिल्ली सरकार ने अपनी नई आबकारी नीति को वापस ले लिया और फिर से खुद को इसमें से हटा के सरकारी निगमों को शराब बिक्री करने की इजाजत दे दी। यानी कि इस पूरी योजना को सरकार ने खतम कर दिया था। तब से विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए ये सवाल उठाया कि जब आबकारी नीति में भ्रष्टाचार नहीं हुआ था तो इस योजना को वापस लेने पर सरकार क्यों मजबूर हुई। दाल में कहीं न कहीं कुछ तो काला है।

नई नीति के तहत सरकार की योजना (Excise Policy Scam)

दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-22 पेश की थी। दिल्ली सरकार अपनी इस नीति के जरिए शराब खरीदने का नया अनुभव देना चाहती थी। इसके तहत सरकारी निगमों से शराब की बिक्री को हटा कर निजी हाथों में सौंप दिया था। जिसके अंदर होटल के बार, क्लब व रेस्टोरेंट को रात तीन बजे तक शराब बेचने की छूट कुछ नियमों के तहत थी। रेस्टोरेंट व अन्य जगहों के छत व खुली जगह पर शराब बेचने की अनुमति दी गई थी। उपभोक्ता की पसंद को इसके तहत तवज्जो दी गई थी, वहीं इस नीति के अंतर्गत दुकानदारों को भी अपने हिसाब से छूट देने का प्रावधान था। इस वजह से ही दिल्ली में ‘एक बोतल पर एक बोतल free’ का लाभ दिया गया था।

नई नीति पर उठा था ये सवाल (Excise Policy Scam)

आबकारी नीति की तहत दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। पूरी दिल्ली में वितरण का जिम्मा16 विक्रेताओं को दिया गया था। जिसके बाद विपक्षियों ने आरोप लगाया था कि इस नीति में भ्रष्टाचार हो रहा है। नई नीति को अदालत में भी चुनौती दी गई थी। विपक्ष का कहना था कि टेंडर की शर्तों के हिसाब से कॉर्टल यानी दो-तीन कंपनियों को एक करने की मंजूरी नहीं थी।

इस टेंडर के हिसाब से ब्लैक लिस्टेड कंपनी को कोई अनुमति नहीं थी, लेकिन दिल्ली में एक कंपनी को दो जोन वितरण का ज़िम्मेदारी दे दिया गया। हालांकि इस मामले में दिल्ली सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति का मकसद भ्रष्टाचार बिल्कुल नहीं था। लोगों को उचित प्रतिस्पर्धा के तहत शराब मुहैया कराना था। इसका मकसद दिल्ली में शराब माफिया और कालाबाजारी को खत्म करना था। इसके साथ ही सरकार का राजस्व बढ़ाना था। शराब खरीदने वालों की शिकायत भी दूर करनी थी।

उपराज्यपाल के आदेश के बाद सीबीआई ने की जांच
2021-22 आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराइ गई थी। प्राथमिकी में 15 व्यक्तियों और संस्थाओं के नाम थे, जिसमे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम भी शामिल था। सीबीआई ने इस मामले में कई नौकरशाह के घर पर छापेमारी की थी। मनीष सिसोदिया से भी सीबीआई के द्वारा कई बार पूछताछ की गई थी।

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