Atiq Ahmed: अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस के सामने मारा गया लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने सभी हमलावरों पर एक भी गोली नहीं चलाई थी। इसको लेकर लगातार पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पुलिस विभाग ने पूछे गए सवालो का जवाब भी दिया है। अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस और मीडिया की मौजूदगी में मार दिया जाता है। तीन युवक धड़ा धड़ गोलियां चलाते हैं लेकिन पुलिस उन पर गोली नहीं चलाती। उत्तर प्रदेश में हुए इस घटना को लेकर पुरे देश के लोग कई तरह के सवाल कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एनकाउंटर के लिए जानी जाने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस ने आखिर घटनास्थल पर उन तीनों युवकों पर गोली क्यों नहीं चलाई? बल्कि पुलिस ने उन तीनों को ही जिंदा पकड़ लिया।
गोली अतीक की बाईं कनपटी में मारी तो (Atiq Ahmed)
पुलिस सुरक्षा के बीच अतीक और अशरफ को मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया जा रहा था उसी समय मीडियाकर्मी बनकर आए हमलावरों ने उसपर गोली चलला दी। पहली गोली अतीक की बाईं कनपटी में मारी तो वही दूसरी गोली अशरफ को मारी गई। यह सब इतना अचानक हुआ कि पुलिस और वहां मौजूद मीडियाकर्मियों को कुछ समझ में नहीं आया। 22 सेकंड्स तक गोलियां चलती रहीं। जब मीडियाकर्मियों ने फिर से अपना कैमरा संभाला तो तीनों ही हमलावर हाथ ऊपर किए नारेबाजी कर रहे थे। उनके पिस्तौल जमीन पर पड़े थे। पुलिस ने तुरंत उन तीनों हमलावर को पकड़ लिया और पुलिस की जीप में बैठा लिया।
हत्याओं के पीछे की साजिश का पता ना चलता
सवाल ये है कि आखिर पुलिस ने उनपर गोलियां क्यो नहीं चलाई। एक पुलिसकर्मी ने बताया की ‘पुलिसकर्मियों को रिएक्ट करने का समय ही नहीं मिला।’ जब तक सबको समझ में आया कि क्या हो रहा है तब तक फायरिंग रुक गई। जब फायरिंग शुरू हुई तो मीडियावाले भी अपने कैमरों के साथ दूर हो गए। वापस कैमरा जब फोकस किया गया तो अतीक और अशरफ जमीन पर पड़े मिले। इन सवालों का जवाब देते हुए एक रिटायर्ड आईपीएस ने कहा, अगर तीनों को तुरंत मौके पर ही मार दिया जाता तो इन हत्याओं के पीछे की साजिश का पता ना चलता। उन तीनों का अगर पुलिस एनकाउंटर कर देती तो सारे सबूत वहीं खत्म हो जाते।