शादी किसी ‘बर्बर जानवर को खुला छोड़ने’ का लाइसेंस नहीं है। ये बड़ी बात कर्नाटक हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप के एक केस पर दिए आदेश में कही है।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “विवाह की संस्था ये नहीं कर सकती और न ही इसकी अनुमति दे सकती है कि कोई पत्नी के साथ बर्बरता करे। मेरे विचार में ये नहीं माना जाना चाहिए कि ये पुरुष का कोई ख़ास अधिकार है या किसी बर्बर जानवर को खुला छोड़ देने का लाइसेंस है।”
”अगर ये किसी पुरुष को सज़ा देने योग्य है, तो ये फिर हर पुरुष को सज़ा देने के योग्य होना चाहिए, भले ही वो पति क्यों ना हो।”
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— Live Law (@LiveLawIndia) March 23, 2022
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा, “पत्नी पर बर्बर यौन हमले का कृत्य, उसकी मर्ज़ी के बिना, भले ही पति ऐसा करे, को कुछ और नहीं बल्कि बलात्कार ही कहा जाएगा। एक पति के अपनी पत्नी पर किए गए ऐसे यौन हमले के उसकी पत्नी की अंतरात्मा और मानसिक सेहत पर गंभीर असर होंगे। इसका उस पर शारीरिक और मानसिक असर होगा।”
क्योंकि पति के ऐसे कृत्य पत्नी की आत्मा को जख़्मी कर देते हैं। ऐसे में क़ानून बनाने वालों के लिए ये ज़रूरी हो जाता है कि वो ख़ामोशी की इन आवाज़ों को सुनें।”
अदालत ने अपने आदेश में कहा है, “इस पुराने विचार को कि पति पत्नी के शासक होते हैं, उनके जिस्म, दिमाग़ और आत्मा के स्वामी होते हैं, को समाप्त किया जाना चाहिए।” अदालत ने आदेश में कहा कि ऐसे ही पुरातन, पिछड़े और पूर्वाग्रहों से ग्रसित विचारों की वजह से देश में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।