किससे सहमा तालिबान, आखिर कौन है सलीमा मजारी, जानें पूरी डिटेल

0
765
Saleema Mazari
तालिबान के विरोध में उतरी सलीमा मजारी ने अफगानिस्तान को टक्कर देने के लिए अपनी फौज तैयार करली है।

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”यह खबर सुनें”]

Saleema Mazari: अफगानिस्तान को हथियारों के दम पर दबाने वाला तालिबान आज खुद डरा हुआ है। अफगानिस्तान के कई शहरों पर तालिबान कब्जा कर रहा है। इस बीच अफगानिस्तानी सेना तालिबान के सामने कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है। ऐसे में तालिबान को किसका डर सता रहा है।

अफगानिस्तान को टक्कर देने उतरी महिला गवर्नर

अफगानिस्तान को आंख दिखाने वाले तालिबान को टक्कर देने महिला गवर्नर सलीमा मजारी (Saleema Mazari) मैदान में उतर आईं हैं। सलीमा तालिबान को टक्कर देने के लिए पूरी तैयारी में हैं। तालिबान अफगानिस्तान में आतंक मचाए हुए है जिसमें वह लोगों का कत्लेआम कर रहा है। इस बीच तालिबान के विरोध में उतरी सलीमा मजारी ने अफगानिस्तान को टक्कर देने के लिए अपनी फौज तैयार करली है। लोग उनकी सेना में शामिल हो रही है। वे अपनी जमीन और मवेशी बेच कर हथियार खरीद रहे हैं।

आखिर कौन है सलीमा मजारी

तालिबान के विरोध में उतरीं सलीमा मजारी शुरु से ही तालिबान के खिलाफ हैं। सलीमा माजरी का जन्म 1980 में ईरान में हुआ था। सेवियत् युद्ध के दौरान उनके परिवार को वहां से भागना पड़ा। सलीमा की पढाई लिखाई ईरान में ही हुई। तेहरान विश्वविद्यालय से ग्रेजुऐशन के बाद वह गवर्नर के लिए चुनी गईं। तालिबान के खतरे को देखते हुए और जिले को सुरक्षित करने के लिए उन्होंने सिक्योरिटी कमिशन की स्थापना की थी, जो स्थानीय सेना में भर्ती का काम देखता था। बता दें कि, सलीमा अपने कार्यकाल में तालिबानियों के नाक में दम कर चुकी हैं।

एक हिस्सा अब भी तालिबान की पहुंच से दूर

तालिबान ने अफगानिस्तान के दूरदराज के पहाड़ी गांवों और घाटियों पर ने कब्जा कर लिया है। अब हालात ये हैं कि, तालिबान ने अफगान के काबुल को छोड़कर अफगान के प्रमुख प्रांतों को अपने कब्जे में ले रहा है। हालांकि, तालिबान  की नजर से अफगानिस्तान का एक हिस्सा अभी भी बचा हुआ है। तालिबान अभी चारकिंत पर पूरी तरह से कब्जा नहीं कर पाया है। तालिबान के शासन में महिलाओं और लड़कियों की पढ़ाई लिखाई और नौकरी पर रोक लगाई गई थी। 2001 में तालिबान का शासन खत्म होने के बाद भी लोगों का रवैया कुछ कुछ ही बदला है।

इस हिस्से को बचाने में लगी हैं सलीमा

मजारी का कहना है कि, ‘तालिबनी बिल्कुल वही हैं जो मानवाधिकारों को कुचल कर उनपर शासन करना चाहते हैं। बता दें कि मजारी हजारा समुदाय से आती हैं और समुदाय के ज्यादातर लोग शिया हैं, जिन्हें सुन्नी मुसलमानों वाला तालिबान बिल्कुल पसंद नहीं करता। मजारी के शासन वाले लगभग आधे हिस्से को तालिबान कब्जा चुका है। और माजरी लगातार उस हिस्से को बचाने में लगी माजरी पूरी चरह अपनी फौज के साथ तैयार खड़ी हैं। माजरी ने अब तक 600 लोगों को भर्ती किया है, जो लड़ाई के दौरान सेना और सुरक्षा बलों की जगह ले रहे हैं।

Read Also: दो सबमरीनों से काम चला रही पाक नौसेना, हालात बेहद खराब!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here