New Delhi: भारत ने आसियान (ASEAN) देशों के प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप यानि आरसीइपी (RCEP Partnership) में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है कि आरसीइपी में शामिल होने को लेकर उसकी कुछ मुद्दों पर चिंताएं हैं, जिन पर स्पष्टता ना होने के कारण देश हित में यह कदम उठाया गया है।
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आरसीइपी (Regional Comprehensive Economic Partnership) में भारत के शामिल नहीं होने के फैसले पर देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। आरसीईपी में शामिल नहीं होने के भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, ‘आरसीईपी में शामिल नहीं होने का भारत का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण और नासमझी है। यह एशिया-प्रशांत एकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा बनने के भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों में है।
इस पर केंद्र सरकार ने कांग्रेस को करारा जवाब दिया है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP Partnership) को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं के अंतर विरोध को लेकर उनपर निशाना साधा। बता दें कि एक तरफ जहां कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया वहीं दूसरी ओर जयराम रमेश ने इसका समर्थन किया।
Internal contradiction and confusion in senior leadership in Congress on critical issues exposed on yet another issue-RCEP. While yesterday @AnandSharmaINC termed India’s decision of not joining RCEP as unfortunate, @Jairam_Ramesh on the other hand endorsed India’s exit from RCEP pic.twitter.com/ql7x14AkYN
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) November 18, 2020
भाजपा के वरिष्ठ नेता जावड़ेकर ने ट्वीट में लिखा- आंतरिक विरोधाभास और महत्वपूर्ण मुद्दों पर कांग्रेस में वरिष्ठ नेतृत्व में भ्रम उजागर हुआ है। कल आनंद शर्मा ने RCEP में शामिल नहीं होने के भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, दूसरी ओर जयराम रमेश ने RCEP से भारत के बाहर निकलने का समर्थन किया है।
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बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2019 में यह निर्णय लिया कि भारत इस आरसीइपी समझौते में शामिल नहीं होगा, तो दुनिया चौंक गयी थी। लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा था कि देशहित में ऐसा करना जरूरी है। हालांकि दिलचस्प बात यह है कि इस साल कांग्रेस जहां शामिल ना होने पर विराझ कर रही है वहीं पिछले साल कांग्रेस ने इस डील में शामिल होने का विरोध किया था।
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