जम्मू कश्मीर। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अनुच्छेद 370 को सात जजों की बड़ी पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया है। इस मामले में पांच जजों की पीठ ही इस मामले की सुनवाई करेगी। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किए जाने की वैधता को चुनौती देनी वाली याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेजने का कोई कारण नहीं है।
पांच जजों की पीठ करेगी फैसला
आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत के संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने पांच जजों के संविधान पीठ के दो अलग-अलग और विरोधाभासी फैसलों का हवाला देकर मामले क बड़ी बेंच को भेजे जाने की मांग की थी। वहीं, इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 23 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसके ऊपर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है।
Supreme Court refuse to refer to a larger bench a batch of pleas, challenging the constitutional validity of Centre’s 5th August 2019 decision of abrogating provisions of Article 370. pic.twitter.com/5fXTRDBRcZ
— ANI (@ANI) March 2, 2020
केंद्र सरकार ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है की जम्मू कश्मीर के हालात में बदलाव करने के लिए अनुच्छेद 370 हटाना सही फैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनी थी और फिर ये मामला सुरक्षित रख लिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई करने के बाद हम इस पर विचार करेंगे कि इस मामले को कहां भेजना है।
Supreme Court’s five-judge Constitution bench will today pronounce its order on whether petitions challenging the constitutional validity of the Centre’s decision to abrogate Article 370 be referred to a larger bench. pic.twitter.com/EW0kdYRYbM
— ANI (@ANI) March 2, 2020
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर से पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला लिया था, इसके साथ ही विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों जिसमें जम्मू कश्मीर और लद्दाख में तब्दील कर दिया था।