Chhath Puja: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुरू, आज नहाए खाए

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Chhath Puja: आस्था का महापर्व यानी की छठ पर्व की शुरुआत आज से हो गई है। नहाय खाय के साथ छठ पर्व का आरंभ हो गया है। इस पर्व में व्रती महिलाएं भगवान सूर्य को अर्ग देती है। 4 दिन तक चलने वाला ये पर्व पर देश के साथ-साथ विदेशों में भी रहने वाले भारतीय मनाते है।

छठ पर्व की वजह से घाटों पर साफ-सफाई का काम पूरा हो चुका है। राजधानी लखनऊ में घाटों पर साफ-सफाई के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। ये पर्व भगवान सूर्य की अराधना के साथ-साथ सुख समृद्धी का पर्व है।

4 दिन क्या होती है पूजा…

सबसे पहले दिन के पूजा की शुरुआत नहाय खाए के साथ होती है। व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान के बाद लौकी,भात और चने की दाल खाती है। दूसरे दिन खरना होता है,जिसमें महिलाएं पूजा करने के बाद चावल की खीर खाती है, उसके बाद चाय पीती है। फिर इसके अगले दिन शाम को सूर्य देवता को अर्ग दिया जाता है। महापकवान का भोग सूप में करके भगवान को लगाया जाता है.उसके अगले दिन भोर में सूर्य को अर्ग देने के साथ इस पूजा का समापन हो जाता है।

चौथा दिन : छठ पूजा के चौथे दिन 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय संतान और परिवार की सुख शांति बनाए रखने की कामना की जाती है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है और व्रत का समापन होता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है।

छठ पूजा में बन रहे कई संयोग

17 नवंबर को चतुर्थी तिथि का मान दिन में 11 बजकर 04 मिनट पश्चात पंचमी तिथि, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र संपूर्ण दिन भर और रात को दो बजकर 37 मिनट, पश्चात उत्तराषाढ़ है। इस दिन धृतियोग और प्रवर्धमान नामक औदायिक योग है। इसके अतिरिक्त स्थायी योग (जय योग), रवियोग और द्विपुष्कर योग भी है। इस प्रकार इस दिन पांच शुभ योगों की स्थिति बन रही है।

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि का मान सुबह नौ बजकर 19 मिनट मिनट, पश्चात षष्ठी तिथि है। इस दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र दिन भर और रात को एक बजकर 22 मिनट तक, इसके बाद श्रवण नक्षत्र और शूल तदुपरि वृद्धि नामक योग है।

तीसरे दिन षष्ठी तिथि सुबह 07 बजकर 24 मिनट तक। इसके पश्चात सप्तमी तिथि है। चौथे दिन धनिष्ठा नक्षत्र और ध्रुव योग और शुभ नामक नामक औदायिक योग है। इस प्रकार सूर्य षष्ठी का महापर्व प्रवर्धमान योग से प्रारंभ होकर शुभ योग में समाप्त हो रहा है।

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