Delhi: भारत-नेपाल (Indo-Nepal Border) सीमा विवाद को गंभीर स्थिति में पहुंचाने के लिए भारत (India) ने नेपाल (Nepal Gorernment) की सरकार पर निशाना साधा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत ने हमेशा ही नेपाल (Nepal) के साथ इस मुद्दे पर वार्ता की पहल की, लेकिन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली (Nepal PM) तैयार नहीं हुए।
Nepal has created a difficult situation, now it is up to their government to build a positive and conducive environment for talks: Sources https://t.co/SNzzslV6Jg
— ANI (@ANI) June 15, 2020
सूत्रों के मुताबिक, “भारत (India) ने हमेशा नेपाल (Nepal) के साथ बातचीत पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जाहिर की। यहां तक कि नेपाल के निचले सदन में नए नक्शे पर संशोधन बिल पास होने से ठीक पहले भी संपर्क साधा साधा गया। इसके साथ ही वर्चुअल बातचीत और विदेश सचिव यात्रा की पेशकश भी की गई थी, लेकिन पीएम ओली (Nepal PM) ने पेशकश ठुकरा दी। उन्होंने अपने नागरिकों को भी इस प्रस्ताव के बारे में क्यों नहीं बताया।”
पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के दो कर्मचारी लापता
आपको बता दें कि नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। भारत यह कहता रहा है कि यह तीन इलाके उसके हैं। काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे।
कोरोना से ठीक होने पर मरीज को हुआ ‘अफसोस’!
नेपाल के निचले सदन (प्रतिनिधि सभा) में नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन (अपडेट) करने के लिए विधेयक के पक्ष में मतदान किया। इसके तहत भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के तौर पर दर्शाया गया है। शनिवार (13 जून) को नेपाल के निचले सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया। प्रस्ताव के खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा। अब विधेयक को नेशनल असेंबली (उच्च सदन) में फिर इसी प्रक्रिया से गुजरना होगा। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास नेशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत है। यहां 16 जून को वोटिंग तय है।