नेपाल को विवादित नक्शे पर यूएन से बड़ा झटका, कही ये बड़ी बात..

नेपाल की भूमि प्रबंधन मंत्री पद्मा अर्याल ने कहा कि भारत और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नया नक्शा भेजा जाएगा

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Nepal's Map Issue
विवादित नक्शे को गूगल और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजेगा नेपाल

Delhi: नेपाल ने अपने विवादित नक्शे को यूएन भेजा लेकिन नेपाल को यूएन से तगड़ा झटका लगा है. जानकारी के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) ने कहा है कि अधिकारिक कामकाज के लिए संस्था न तो नेपाल (Nepal’s Map Issue) के नए विवादित नक्शे को स्वीकार करेगी और ना ही मान्यता देगी. दरअसल नेपाल ने इस वर्ष जो नया राजनीतिक नक्शा तैयार किया है उस नक्शे में उसने भारत के हिस्से वाली लिंपियाधुरा, लिपुलेख और काला पानी को नेपाल का हिस्सा बताया है. जबकि इन क्षेत्रों पर भारत का दावा है और भारत पहले ही साफ कर चुका है कि वो ऐसे किसी नक्शे को स्वीकार नहीं करेगा, जिसके ऐतिहासिक प्रमाण नहीं होगे. संयुक्त राष्ट्र (UN) ने ये भी कहा कि वो प्रशासनिक कार्यों के लिए इस क्षेत्र से संबंधित भारत, पाकिस्तान, या चीन के नक्शे का इस्तेमाल भी नहीं करेगा. प्रतिक्रिया में ये भी कहा कि जब भी नेपाल ऐसे किसी मामले को सदन में रखेगा तो सिर्फ कूटनीतिक प्रोटोकाल ही स्वीकार किए जाएंगे.

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इससे पहले जानकारी थी कि विवादित नक्शे को नेपाल (Nepal’s Map Issue) गूगल (Google) और भारत (India) समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजने की तैयारी कर रहा है। बता दें कि इस नक्शे में नेपाल ने भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है। नेपाल की भूमि प्रबंधन मंत्री पद्मा अर्याल ने कहा कि भारत और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नया नक्शा भेजा जाएगा। इस महीने के मध्य तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

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नेपाली मापन विभाग को भूमि प्रबंधन की ओर से नए नक्शे (Nepal’s Map Issue) की 4000 कॉपी को अंग्रेजी में प्रकाशित करने और उनसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजने का आदेश दिया गया है। ओली सरकार ने 20 मई को नेपाल का यह विवादित नक्शा जारी किया था। इसमें लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है। हालाकि भारत ने नेपाल के इस नक्शे को खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि नेपाल की यह एकतरफा कार्रवाई ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है।

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भारत ने इसे सीमा से जुड़े मुद्दे को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाने के करार का उल्लंघन भी बताया था। यही नहीं नेपाल ने सन 1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते की समीक्षा की जरूरत बताई है। इस समझौते के अनुसार गोरखा समुदाय के लोग तीनों देशों की सेनाओं में नौकरी कर सकते हैं। नेपाल का कहना है कि यह समझौता अब निरर्थक हो गया है इसलिए तीनों देशों को अब फिर से बात करनी चाहिए। भारत ने इसे सीमा से जुड़े मुद्दे को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाने के करार का उल्लंघन भी बताया था। यही नहीं नेपाल ने सन 1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते की समीक्षा की जरूरत बताई है।

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