Effects of Social Media: ज़रा सोचिए. अगर अभी नहीं सोचा तो यकीन मानिए बहुत देर हो जायेगी। क्या आपको पता है कि आपके बच्चे के हाथ में जो स्मार्टफ़ोन है वो फोन नहीं दरसअल एक बम है! कुछ समझे? अगर नहीं समझे, तो इस पूरी रिपोर्ट पर एक नज़र डालिए.

आगे की कहानी आपको बताएं उससे पहले कुछ आंकड़ों पर निगाह डालते हैं. Facebook पर एक्टिव यूजर्स की संख्या 2.6 Billion के आसपास है. Twitter पर लगभग 18.70 Crore यूजर्स है. Instagram पर 1 Billion से ज्यादा लोग एक्टिव हैं. Whatsaap पर लगभग 2 Billion एक्टिव यूर्जर्स हैं.

ये आंकड़े बताते हैं कि सोशल मीडिया हमारी जिंदगी का कितना अहम हिस्सा है. ज़ाहिर है ये आपके परिवार से जुड़ा हुआ है. और आपके बच्चे की पहुंच इनतक कितनी आसानी से हो सकती है. और जब यही सोशल मीडिया बच्चों के हाथ तक पहुंचती है तो ये किसी बम से कम नहीं होती.

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सोशल मीडिया के बड़े बड़े प्लेटफॉर्म पर जब पॉर्न कंटेटं (Porn Content) परोसे जाने लगते हैं तो इसकी चपेट में बच्चे भी आ जाते हैं. और शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां Social Media Website के इस्तेमाल पर रोक लगी हो. और सोशल मीडिया पर तमाम वो चीजें परोसी जाने लगी हैं जिससे बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ रहा है। यानी पॉर्न कंटेंट, मतलब धड़ल्ले से इन साइट पर पॉर्न कंटेंट दिखाया जा रहा है। इसमें वो सब कुछ दिखाया जाता है जो हकीकत से कोसों दूर है। केवल अपने फायदे के चक्कर में रिश्तों को तार तार किया जाता है। पत्नी, बेटी, बहन, हाउस हेल्पर, महिला सहकर्मी, चाचा, भतीजा, भाभी, मामा, ससुर यह कुछ ऐसे रिश्तों के नाम हैं जिनको हमारे समाज में इज्जत और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन इनके बीच गलत संबंधों को दिखाकर यह साबित करने की कोशिश होती है कि जीवन का यही सत्य है। जब की असलियत में अपवाद छोड़ कर ऐसा कुछ भी नहीं होता। इतना ही नहीं नल ठीक करने आए प्लम्बर, दूध डिलीवर करने वाले आदमी, घर पर काम करने वाले नौकर, गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर, टीचर स्टूडेंट या चोरी करने आए चोर से, किसी अपर मिडिल क्लास की महिला का संबंध बनाना, ऐसे तामाम उदाहरण हैं जो हकीकत से कोसों दूर हैं.

सवाल उठता है कि यह सब कुछ जानते समझते हुए भी इसके खिलाफ लोग बोलने से क्यों कतराते हैं? (Effects of Social Media) हम यह जानते हुए भी चुप क्यों हैं कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध और गिरते सामाजिक चारित्र के लिए इस तरह के कंटेन्ट ज़िम्मेदार हैं। क्या आपको नहीं लगता कि खुले आम चल रहे इस कारोबार पर अब रोक लग जानी चाहिए… इंटरनेट और स्मार्टफ़ोन के बढ़ते इस्तमाल से बड़े पैमाने पर ये ज़हर हमारे बच्चों में मानसिक प्रदूषण पैदा कर रहा है।

कैसे बस स्टैंड के स्टॉल से उठकर स्मार्टफोन तक पहुंची पोर्नोग्राफी (How pornography reached the smartphone after getting up from the stall of the bus stand) 

एक दौर में ये इंडस्ट्री Bus Stand और Railway Station जैसी जगहों पर लगे Book Stall पर मिलने वाली मैग्जीन तक सिमटी हुई थी. उस वक्त इस तरह की सामग्री बच्चों की पहुंच से दूर हुआ करती थी. फिर दौर CD Player और DVD का आया लेकिन दुकानों पर मिलने वाली CD और DVD भी बच्चों की पहुंच से परे ही रहीं. लेकिन इंटरनेट का दौर आने के बाद दुकानों पर जाकर सामग्री खरीदने में होने वाला संकोच दूर गया, इस बीच तकनीक के माध्यम से लगी पाबंदियां भी एक हद तक ही सीमित रहीं.

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लेकिन Internet की कुछ चुनिंदा Website से ये सामग्री अब सोशल मीडिया (Social Media) की मशहूर वेबसाइटों तक पहुंच चुकी है और सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि सोशल मीडिया पर न तो पाबंदी लगाई जा सकती है और न ही बच्चों को इस सोशल मीडिया पर जाने से रोका जा सकता है. इसी बात का फायदा उठा कर एडल्ट फिल्म इंडस्ट्री (Adult Film Industry) सोशल मीडिया के जरिए खुद को प्रमोट करने का काम करती है. और बच्चों की के बीच भी ऐसी सामग्रियां सोशल मीडिया के माध्यम से पहुंच रही हैं.

सोंच से भी ज्यादा बड़ा है नेक्सस (Nexus is bigger than thought)

पॉर्न इडस्ट्री के नेक्सस आपकी और हमारी उम्मीदों से भी बड़ा है. बुक स्टॉल से बढ़कर घरों के कमरों के अंदर तक पहुंची पॉर्न इंडस्ट्री अब सोशल मीडिया पर फैलने लगी है. वही सोशल मीडिया (Effects of Social Media) जहां जिससे लोग एक दूसरे के साथ जुड़ते थे अब इसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का फायदा उठा कर पॉर्न इंडस्ट्री अपने आपको प्रमोट करती है. और प्रमोट करने के नाम पर इंडस्ट्री हर हद को पार कर जाती है. रिश्तों का ख्याल नहीं रहता, इस बात की फिक्र भी नहीं रहती कि सोशल मीडिया जिसका इस्तेमाल बच्चे भी करते हैं उन बच्चों तक भी आपत्तिजनक सामग्री पहुंच रही है.

जिम्मेदारी से कैसे पल्ला झाड़ लेती हैं सोशल मीडिया (How social media gets rid of responsibility)

सवाल ये भी है कि जब सोशल मीडिया पर ऐसे अपत्तिजनक कटेंट पहुंच रहे हैं तो सोशल मीडिया की कितनी जिम्मेदारी बनती है. यूं तो सोशल मीडिया खुद की साफ सुथरी छवि का दावा करती हैं लेकिन इनकी छवि को लेकर भी एक सीमा है. हर सोशल मीडिया वेबसाइट के अपने नियम और अफनी शर्ते होती हैं. ये नियम और शर्तें ही तय करते हैं कि उस वेबसाइट पर किस तरह के कंटेंट को पोस्ट किया जा सकता है. ऐसे में जब किसी भी सोशल मीडिया वेबसाइट पर आप अपनी आईडी बनाते हैं तो वो वेबसाइट पहले ही नियम और शर्ते मानने के लिए कहती हैं और एक बार उनके नियम और शर्ते मानने का मतलब है कि आप उनकी तरफ से परोसी जा रही समग्री को लेकर सहमत हैं.

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अब सवाल अगर इन सोशल मीडिया वेबसाइट पर उठता है तो इनके पास अपना पल्ला झाड़ने का आसान तरीका बन जाता है और वेबसाइट ये कहकर पीछे हट जाती हैं कि अकाउंट बनाते समय अपने शर्तों को मान लिया था. और इन शर्तों को ही फिर घुमा फिरा कर तोड़ा मरोड़ा जाता है जिसके बात सोशल मीडिया वेबसाइट खुद अश्लील सामग्री के प्रसार का साधन बन जाती है.

कुछ जरूरी तथ्य जो आपको जानना चाहिए (Some Important Facts You Should Know)

ये तथ्य जुड़े हैं सोशल मीडिया पर पाए जाने वाले अडल्ट कंटेंट से जिनको वेबसाइट इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स ने खुद रिपोर्ट किया है. और तथ्य इस बात को साफ कर देते हैं पॉर्नोग्राफी का जाल सोशल मीडिया वेबसाइट पर किस कदर फैला हुआ है. हम बात देश की सबसे मश्हूर सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक की करते हैं.

  • सिर्फ Facebook को साल 2020 में 20.3 Million आपत्तिजन सामग्री अपलोड होने की रिपोर्ट मिली
  • Facebook को हर महीने औसतन 54,000 आपत्तिजन सामग्री upload होने की जानकारी मिलती है
  • साल 2017 में आपत्तिजन सामग्री डालने वाले 1400 Accounts को बंद किया था
  • साल 2017 में ही Facebook ने 3000 लोगों की टीम बनाई जो आपत्तिजन सामग्री पर नजर रखती है

ये तो वो सामग्री है जो नियम और शर्तो से बाहर जा रही है. लेकिन जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करके और रिश्तों का तार-तार करके इस तरह की सामग्री को बेचने का काम सोशल मीडिया के जरिये किया जा रहा है वो बच्चों पर बेहद बुरा असर डालती है.

दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि आपत्तिजन सामग्री जो दिखावे में पॉर्न न हो लेकिन रिश्तों को तार-तार करे, जैसे भाभी, सास, ससुर, देवर, ड्राइवर इत्यादी रिश्तों को बदनाम करती है. इस प्रकार के कंटेंट को लेकर सोशल मीडिया वेबसाइट की पॉलिसी से निकल जाते हैं, जिसके सहारे सोशल मीडिया की तमाम वेबसाइट पर इस तरह के कंटेंट आसानी से तैरते हैं, और भले ही आप तकनीक के माध्यम से अपने बच्चों को पॉर्न से बचा ले, लेकिन सोशल मीडिया बच्चों की सोंच के साथ खिलवाड़ करती है. और सवाल उठाने पर उन Terms & Conditions का सहारा लेकर कंपनी बच निकलती है जो आपने अकाउंट बनाते समय मानी थीं.

कानून क्या कहता है ? (What does the law say?)

माना जाता है कि जब तक कोई चीज बैन नहीं होती तब तक वो लीगल रहती है. भारत में कुछ ऐसा ही पॉर्न के साथ भी है. एक तरफ तो भारत में पोर्न बैन नहीं है (कुछ साइट्स को छोड़ दें तो) लेकिन और ये लीगल भी नहीं है. यानी कि भारत में पॉर्नोग्राफी अलाउड नहीं है. मतलब यहां कोई इंडियन पॉर्न स्टार लीगल नहीं है. लेकिन अगर पॉर्न भारत से बाहर की है तो भारत के कानून के दायरे से भी बाहर है.

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यहां पेंच ये है कि कानूनी आप विदेशी साइटों पर पॉर्न देख तो सकते हैं लेकिन उसे शेयर नहीं कर सकते. ऐसे में सोशल मीडिया तक पॉर्न पहुंचना कानूनी तौर पर गलत ही है.

अब हम बात भले ही पॉर्न की कर रहे हैं, आज कल हमारी सोशल मीडिया पर रिश्तों का नाम लेकर जिस तरह की सामग्री को परोसा जा रहा है वो पॉर्न की कटेगरी में नहीं आता, बल्कि इसे सॉफ्ट पॉर्न की संज्ञा दी गई है, और इसी सॉफ्ट पॉर्न के सहारे रिश्तों की मर्यादा को भूलते हुए अपना कंटेंट बेचने के लिए इंडस्ट्री शब्दों की हर हद को पार कर रही है.

ऐसे हालात में अभिभावक क्या करें (What should parents do in such a situation)

इतनी विकटताओं के बीच सवाल ये उठता है कि अभिभावक अपने बच्चों को इस माहौल से दूर रखने के लिए क्या कर सकते हैं तो यहां हमारे पास कुछ टिप्स हैं.

घर में Healthy Environment रखें, सोशल मीडिया से ज्यादा एक दूसरे से मेलजोल को बढ़ावा दें. बच्चों की जिज्ञासा को दूर करना और उनके सवालों का जवाब देना जरूरी है, क्योंकि जिन सवालों का जवाब बच्चों को नहीं मिलता उसकी खोज वो इंटरनेट पर करते हैं और इनटनेट में भरी पड़ी जानकारियों के बीच सही जानकारी की पहचान काफी जरूरी है. बच्चों की सोशल मीडिया प्रोफाइल पर नजर रखें, उनकी एक्टिविटी को देखते रहे. जरूरी हो तो उनकी आईडी को लॉगइन करके भी देखें कि बच्चे किस तरह की कंटेंट देख रहे हैं. कई तरह के तकनीकी विकल्प भी हैं जैसे Firewall, Internet Security इत्यादी, इनके इस्तेमाल से भी आपत्तिजनक कंटेंट को एक हद तक रोका जा सकता है.

क्या है हमारी जिम्मेदारी (What is our responsibility)

सिर्फ अपनी जिम्मेदारी को समझ भर लेने से काम नहीं चलता बल्कि उनको निभाना भी जरूरी है. ऐसे में हर सोशल मीडिया वेबसाइट जिसे आप इस्तेमाल करते हैं उसपर हेल्दी एनवॉयरमेंट बना रहे इसके लिए आप खुद भी कदम उठा सके हैं.

सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की आपत्तिजनक सामग्री मिलने पर आप रिपोर्ट कर सकते हैं. इस तरह की रिपोर्ट पर सोशल मीडिया वेबसाइट एक्शन भी लेगी और रिपोर्ट सही पाए जाने पर अपलोड करने वाला अकाउंट भी बैन किया जा सकता है.

आपत्तिजनक कंटेंट डालने वाले के खिलाफ कानून कदम भी उठा सकते है और कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं.

सोशल मीडिया को भी इस तरह के शब्दों को लेकर जानकारी भेजी जा सकती है और समझाया जा सकता है कि पॉर्न कंटेंट न भेजकर भी लोग किस तरह शब्दों का इस्तेमाल करके मानसिकता में जहर घोल रहे हैं.

सोशल मीडिया पर पॉर्नोग्राफी को लेकर क्या कहते हैं पेरेंट्स (What do parents say about pornography on social media)

सोशल मीडिया और सोसाइटी से जुड़े इस मुद्दे पर भले ही कोई बोलने को तैयार नहीं लेकिन इस नासूर से कोई अछूता भी नहीं है. बच्चों के कोमल मन से खिलवाड़ करते इस तरह के सोशल बम काफी बड़ी समस्या बन बैठे हैं. रिश्तों को सवालों में खड़ा करते और बच्चों के दिमाग पर गलत छाप बनते इस तरह के कंटेंट से कई पेरेंट्स परेशान हैं. कुछ ऐसा ही गाजियाबाद की रहने वाली महिला ने नाम न बताने की शर्त पर हमसे कहा कि उनका बेटा सोशल मीडिया के इस मकड़जाल में फंसा और इसका नतीजा ये निकला कि लड़के ने रिश्तों पर सवाल उठाने शुरू कर दिये हैं.

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Noida में रहने वाली Meera (बदला हुआ नाम) भी इसी का शिकार हुईं और पॉर्न इंडट्री में चल रहे रिश्तों के खिलवाड़ के खेल में उनका घर बर्बाद हो गया, घर के पड़ोसी को लेकर उनके पति ने शक करना शुरू किया और अब नौबत घर टूटने तक आ पहुंची है.

Delhi की साइकैट्रिस्ट अवनी देसाई बताती हैं कि पॉर्न इंडस्ट्री में कंटेंट को अलग, यूनीक और एक्साइटिंग बनाने के लिए रिश्तों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फिर ये सामग्री दिमाग में घर कर जाती है औऱ उसका असर जिंदगी पर भी पड़ता है. बच्चों की सोंच पर भी पड़ता है.

Rohtak में रहने वाली शबनम का कहना है कि उनका देवर शबनम को भाभी कहने में हिकिचाता है. औऱ इस बारे में पूछने पर उसने कबूल किया कि वो पॉर्न इंडस्ट्री (Porn Industry) में बदनाम हो गए इस रिश्ते के बारे में जब सोंचता है तो अपने घर वालों के साथ इसे नहीं जोड़ सकता.

आज हमारे समाज में ये नासूर एक कैंसर की तरह फैल रहा है. सोशल मीडिया पर भले ही वीडियो में पॉर्न न दिखाई जाए लेकिन जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है औऱ रिश्तों के नाम पर जैसे साइकोलॉजिकल खेल खेला जाता है न सिर्फ उससे बच्चों को दूर रखने की जरूरत है बल्कि इस तरह के कंटेंट को कम से कम सोशल मीडिया साइट से तो दूर रखने की जरूरत है ही, वरना आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब आपके बच्चों के हाथ सोशल मीडिया नाम का ये बम लग जाएगा, और इससे उसका पूरा भविष्य बर्बाद हो जाएगा.

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