Kerala: मूंछों को ताव देती हैं दबंग ‘शायजा’

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Moustache Woman Shayaza

Moustache Woman Shayaza: पुरुषों में दाढ़ी-मूंछ होना स्वभाविक है और ये नेचुरल प्रोसेस है। आज कल तो ये एक स्टेटस सिंबल भी बन गया है। लोग बढ़ी-बढ़ी बियर्ड और मूंछ रखने लगे हैं। लेकिन क्या कभी आपने किसी महिला को मूंछ या दाढ़ी रखे हुए देखा है। सुनने में जरूर थोड़ा सा अजीब लगेगा, लेकिन केरल के कन्नूर की रहने वाली शायजा ऐसी ही महिला हैं, जिन्हें मूंछे रखने का शौंक है। उन्होंने पिछले पांच साल से अपनी मूंछ नहीं कटवाई है और शान से अपनी मूंछों पर ताव देती हैं।

आज के मॉर्डन युग जहां महिलाएं Facial Hairs को लेकर तरह-तरह के ट्रीटमेंट लेती हैं और पॉर्लर में अच्छे खासे पैसे खर्च करती हैं। वहीं केरल की शायजा कुछ अलग ही इंसपिरेशन दे रही हैं।

दरअसल, 35 साल की शायजा को एको बार अपर लिप पर हेयर ग्रोथ के कारण मजाक का पात्र बनना पड़ा था। उन्हें हीन भावना का भी शिकार बनना पड़ा, यहां तक कि लोग उनसे दूरी भी बनाकर रखते थे। यही कारण है कि उन्होंने मूंछे रखीं। लेकिन अब शायजा को लोग इसी रूप में पसंद करने और अपनाने लगे हैं।

क्यों रखने लगीं मूंछ 
शायजा कहती हैं कि आम महिलाओं की तरह उनके भी अपर लिप्स में बाल आते थे, लेकिन उनकी ग्रोथ ज्यादा थी। इसके लिए उन्हें रेगुलर बेसिस पर थ्रेडिंग करानी पड़ती थी। हालांकि, पांच साल पहले उन्हें अपनी मूंछों के बाल मोटे होना महसूस हुए, जिसके बाद उन्होंने मूंछ रखने की ठानी। शायजा बताती हैं कि उन्होंने पिछले पांच साल से अपनी मूंछों के बाल नहीं कटवाए हैं। वह कहती हैं कि कई लोगों ने उनसे मूंछ कटवाने को कहा, लेकिन उन्होंने इसे न कटवाने का फैसला किया। वह कहती हैं कि मैंने कभी भी ऐसा महसूस नहीं किया कि मैं सुंदर नहीं हूं।

लोगों के मिले ताने, लेकिन परिवार का समर्थन 

शायजा (Moustache Woman Shayaza) केरल के एक बहुत ही छोटे से गांव से आती हैं। जहां शाम होते ही लोग घरों में बंद हो जाते हैं। लेकिन उनकी शादी के बाद ससुराल वालों का काफी समर्थन मिला। दरअसल, उनका परिवार और बेटी उन्हें काफी सपोर्ट करते हैं। शायजा कहती हैं कि उनकी बेटी अक्सर उनसे कहती है कि उन पर मूंछ अच्छी लग रही है।

दरअसल, शायजा की अलग-अलग बीमारियों के कारण छह सर्जरी हो चुकी हैं। वह कहती थीं कि वो हमेशा सोचती थी कि इसके बाद उन्हें कोई समस्या नहीं होगी, लेकिन हर बार अस्पताल जाने से उनमें आत्मविश्वास आया और उन्होंने तय किया कि जिंदगी जैसी है, उसे वैसे ही जीना चाहिए।

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