उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभाओ में हुए उपचुनाव के नतीजे आज यानी कि 24 अक्टूबर को आए हैं। इस चुनाव के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चुनाव मिशन 2022 के लिए संकेत दिए हैं। दरअसल, उप चुनाव परिणामों ने जहां बीजेपी संगठन और सरकार के लिए चुनौती पेश की है, सपा (सामाजवादी पार्टी) की रणनीति को मान्यता दी है।
उल्लेखनीय है कि पिछला विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था, वहीं लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ मिलकर लड़ा था। इन दोनों ही चुनावों में समाजवादी पार्टी ने खुद को मजबूत किया है।
उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने खुद को मजबूत किया और अकेले मैदान में आई, जिसका फायदा उपचुनाव के परिणाम बता रहे हैं। गौर करने वाली बात ये है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव रामपुर छोड़कर कहीं प्रचार में भी नहीं गए। जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ सभी सीटों पर प्रचार करने पहुंचे थे दूसरी तरफ बीजेपी संगठन ने सभी मंत्रियों को उप चुनाव सीटों पर जिम्मेदारी दी थी। इसके बावजूद भी बीजेपी ने अपनी एक सीट गंवा दी है।
वहीं सपा की बात की जाए तो उसने भी बढ़त दर्ज की है। रामपुर, जैदपुर और जलालपुर में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की है। अन्य सीटों पर भी संघर्षरत दिखी है। कांग्रेस ने गंगोह, प्रतापगढ़ और गोविंदनगर में अपनी ताकत दिखाई है। उपचुनाव में बसपा का सबसे बुरा हाल रहा है। हालांकि, बसपा सुप्रीमो मायावती भी चुनाव प्रचार में नहीं निकली हैं। लेकिन उनके प्रत्याशी भी कुछ खास नहीं कर पाए।
जलालपुर सीट पर बसपा ने अपने कद्दावर नेता लालजी वर्मा की बेटी को प्रत्याशी बनाया था। इसमें भी पार्टी संघर्ष करती नजर आई है। ये बसपा की सीट थी जिसे सपा ने छीन लिया है। देखा जाए तो उपचुनावों का यह परिणाम बीजेपी के लिए सबक लेने वाला है, सपा की रणनीति को सही बताने वाला है, कांग्रेस को अभी और ज्यादा मंथन करने की जरूरत है।