Ravidas Jayanti 2022: रविदास जयंती आज, जानिए क्या है संत कबीर के खास विचार और दोहे जो आज भी देते है एक नई सीख

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Ravidas Jayanti
Ravidas Jayanti 2022: रविदास जयंती आज, जानिए क्या है संत कबीर के खास विचार और दोहे जो आज भी देते है एक नई सीख

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Ravidas Jayanti 2022: आज के दिन संत रविदास जंयती (Ravidas Jayanti 2021) का दिन है। हिंदू पंचांग के मुताबिक माघ पूर्णिमा के दिन रविदास जंयदी मनाई जाती है। रविदास की गिनती महान संतों में होती है।

इस बारे (Ravidas Jayanti 2021) में उनकी एक कहावत – “जो मन चंगा तो कठौती में गंगा” काफी प्रचलित हुई है। ये संत गुरु रविदास की 645वीं जयंती होगी. गुरु रविदास, जिन्हें रैदास और रोहिदास के नाम से भी जाना जाता है, भक्ति आंदोलन के एक प्रसिद्ध संत थे.

कहां हुआ था जन्म ?

संत गुरु रविदास (Ravidas Jayanti 2021) का जन्म सन् 1398 ई. उत्तर प्रदेश के काशी में के सीर गोवर्धनपुर गांव मेंहुआ था। इसलिए काशी में भव्य उत्सव मनाया जाता है। इसके अलावा रविदास जी की जयंती को सिख धर्म के लोग भी बेहद श्रद्धा से मनाते हैं। इस दिन से दो दिन पहले गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है। इसे पूर्णिमा के दिन समाप्त किया जाता है। इसके बाद कीर्तन दरबार होता है। साथ ही रागी जत्था गुरु रविदास जी की वाणियों का गाना गाते हैं।

रविदास जयंती 2022- तिथि

रविदास जयंती 2022 तिथि – 16 फरवरी 2022, बुधवार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 15 फरवरी 2022 को रात 09:16 से पूर्णिमा तिथि की समाप्ति – 16 फरवरी 2022 को रात 01:25 तक

रविदास जी के दोहे

रविदास’ जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच। नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।

हिंदी अर्थ – रविदास जी कहते हैं कि मात्र जन्म के कारण कोई नीच नहीं बन जाता हैं लेकिन मनुष्य को वास्तव में नीच केवल उसके कर्म बनाते हैं.

“कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा। वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।”

हिंदी अर्थ – रविदास जी के इस दोहे का मतलब है कि राम, कृष्ण, हरी, ईश्वर, करीम, राघव सब एक ही परमेश्वर के अलग अलग नाम है. वेद, कुरान, पुराण आदि सभी ग्रंथो में एक ही ईश्वर का गुणगान किया गया है और सभी ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ सिखाते हैं.

“मन चंगा तो कठौती में गंगा”

हिंदी अर्थ – अगर आपका मन पवित्र है तो साक्षात ईश्वर आपके हृदय में निवास करते है.

हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस। ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।

हिंदी अर्थ – हरी के समान बहुमूल्य हीरे को छोड़ कर अन्य की आशा करने वाले अवश्य ही नरक जायेगें. यानि प्रभु भक्ति को छोड़ कर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है.

रैदास कहै जाकै हदै, रहे रैन दिन राम सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम।।

रैदासजी कहते हैं, जिस हृदय में दिन-रात राम के नाम का वास रहता है, ऐसा भक्त स्वयं राम के समान होता है. राम नाम की ऐसी माया है कि इसे दिन-रात जपनेवाले साधक को न तो क्रोध आता है और न ही कभी कामभावना उस पर हावी होती है.

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