लॉकडाउन के बीच RBI का बड़ा फैसला, बैंकों-NBFC को दी 1 लाख करोड़ की राशि

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Shaktikant Das on Weak Rupee

देश में जारी लॉकडाउन के बीच बैंकों, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट (MFI) और गैर ​बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को RBI ने बड़ी राहत दी है. आर्थिक संकट के दौर में इन संस्थाओं को नकदी की काफी समस्या हो रही थी. RBI ने उन्हें 1 लाख करोड़ रुपये की नकदी देने की व्यवस्था की है.

भारत में चल रहे लॉकडाउन के बीचभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट (MFI) और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को बड़ी राहत देने का ऐलान किया है. RBI ने बैंकों, MFI , NBFC, को 1 लाख करोड़ रुपये की नकदी देने की व्यवस्था की है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए शुक्रवार को कई घोषणाएं की हैं.

बता दें कि RBI ने 50 हजार करोड़ रुपये के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO) के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये सिस्टम में लाने का ऐलान किया है. ये कई टुकड़ों में किया जाएगा. गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक, हालात की समीक्षा के बाद जरूरत हुई तो और भी नकदी डाली जाएगी. दरअसल आर्थिक संकट के दौर में इन संस्थाओं को नकदी की बड़ी समस्या हो रही थी.

बैंक और वित्तीय संस्थाएं जब इस तरह का फंड हासिल करेंगी तो उसे कंपनियों, एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट के इनवेस्टमेंट ग्रेड बॉन्ड में लगाएंगी. इस तरह से कॉरपोरेट और छोटी वित्त संस्थाओं को पैसा मिल पाएगा. इस वक्त खासकर लघु वित्त संस्थाओं को नकदी की तंगी से गुजरना पड़ रहा है. इसके आलवा रिजर्व बैंक ने नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी जैसी सरकारी वित्त संस्थाओं को 50 हजार करोड़ रुपये की रीफाइनेंस यानी पुनर्वित्त की व्यवस्था करने की घोषणा की है.

RBI द्वारा इन संस्थाओं को वित्त मिलने पर ये जनता और उद्यमियों को कर्ज दे सकेंगी. संकट के दौर में देश की इकोनॉमी को बचाने के लिए रिजर्व बैंक काफी सक्रिय है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले 27 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेपो रेट में 0.75 फीसदी की भारी कटौती का ऐलान किया था.

कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था काफी खराब है. लॉकडाउन की वजह से लगभग सभी तरह के काम-धंधे बंद पड़े हैं, हर दिन 35 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है. लॉकडाउन के पहले चरण में ही देश की जीडीपी को करीब 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपनी इकोनॉमी को बचाने के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं.

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