New Delhi: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) को लेकर शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में हमारी शैक्षिक प्रणाली को पुनर्जीवित करना है। साथ ही इससे भारत नया मुकाम हासिल करेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि (Ramnath Kovind on NEP) हमारी परंपराओं में जिज्ञासा को हमेशा प्रोत्साहित किया जाता रहा है। जिज्ञासा को जिगीषा से अधिक महत्व दिया गया है।
LIVE: President Kovind addresses the Visitor’s Conference on ‘Implementation of National Education Policy 2020: Higher Education’ #ShikshakParv https://t.co/MKG1aVsiYZ
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 19, 2020
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 12500 से अधिक स्थानीय निकायों और लगभग 675 जिलों की व्यापक भागीदारी और 2 लाख से अधिक सुझावों पर विचार के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है। उन्होंने कहा (Ramnath Kovind on NEP) कि प्राचीन काल में भारत विश्व स्तर का सम्मानित शिक्षा केंद्र था, यहां पर तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्याल से प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान थे, लेकिन आज ग्लोबल रैकिंग में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी टॉप पर नहीं है। नई शिक्षा नीति से इस दिशा में भी सुधार होने की उम्मीद है।
The National Education Policy has been prepared after extensive participation involving 2.5 lakh gram panchayats, more than 12,500 local bodies and about 675 districts. More than 2 lakh suggestions have been taken into consideration. pic.twitter.com/eD2crCt7Av
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 19, 2020
राष्ट्रपति कोविंद ने आगे कहा कि मुझे खुशी है कि 2018-19 के ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन में महिलाओं का GER पुरुषों से थोड़ा अधिक है। हालांकि राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और तकनीकी शिक्षा में महिला छात्रों की हिस्सेदारी विशेष रूप से कम है। इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे देश के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल हमारे युवाओं के भविष्य को मजबूत बल्कि हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयार करेगी।
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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “एनईपी अंक या ग्रेड के लिए रट्टा मारने को हतोत्साहित करना चाहता है। यह महत्वपूर्ण सोच और जांच की भावना को प्रोत्साहित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारत विश्व स्तर पर सम्मानित शिक्षा केंद्र था। तक्षशिला और नालंदा के विश्वविद्यालयों को प्रतिष्ठित दर्जा प्राप्त था, लेकिन आज भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक रैंकिंग में उच्च स्थान प्राप्त नहीं है।