New Delhi: देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के बीच मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (Central Government) को फटकार लगाई है। मोरेटोरियम अवधि (Loan Moratorium Scheme) के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जहां कोर्ट ने इस मामले पर निर्देश दिया कि केंद्र एक सप्ताह के अंदर इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करे।
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कोर्ट ने बुधवार को कहा “लोगों की परेशानियों की चिंता छोड़कर आप सिर्फ बिजनेस के बारे में नहीं सोच सकते। सरकार आरबीआई (Reserve Bank Of India) के पीछे छुपकर अपने आप को छुपा रही है, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत सरकार को अधिकार प्राप्त है जिसका इस्तेमाल कर वह लोगों को टाली हुई लोन ईएमआई (Loan Moratorium Scheme) पर ब्याज माफ कर सकती है।”इस मामले में अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी। इससे पहले 17 जून को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को दो महीनों के लिए टाल दिया था।
इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा एफीडेविट जमा करने में देरी पर सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने सितंबर के पहले हफ्ते तक इसे जमा करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि इस बारे में हमें एक स्पष्ट टाइमलान दें कि सरकार एफिडेविट कब दे रही है।आपको बता दें कि कोरोना संकट के चलते रिजर्व बैंक ने लॉकडाउन के कारण रोजगार छिनने से लोन वालों को राहत देने के मकसद से ईएमआई वसूलने में नरमी दिखाई थी।
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रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से कहा था कि वो अपने ग्राहकों को 31 अगस्त तक ईएमआई नहीं भरने का ऑफर दें। लेकिन अब केंद्रीय बैंक से अपील की जा रही है कि मोरेटोरियम को आगे नहीं बढ़ाया जाए। कुछ लोग इसे आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में लोग इसे तुरंत खत्म करने के पक्ष में हैं। खासकर बैंक अब मोरेटोरियम को अगस्त से आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है।