किसान नेता Rakesh Tikait ने गाजियाबाद के किसानों से की मुलाकात, कहा- ‘ MSP पर कानून बनना बाकी’

किसान आंदोलन अभी खत्म नही होगा क्योंकि एमएसपी पर कानून बनना बाकी है। Rakesh Tikait ने गाजियाबाद के किसानों से की मुलाकात

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Rakesh Tikait
किसान आंदोलन अभी खत्म नही होगा क्योंकि एमएसपी पर कानून बनना बाकी है। गाजियाबाद के किसानों से की मुलाकात

किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) आज गाजियाबाद के सदरपुर गांव में किसानों के धरना स्थल पर पहुंचे और उनका समर्थन किया, यहां किसान जीडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण को लेकर बीते कई सालों से प्रदर्शन कर रहे हैं । उनका कहना है कि एक समान मुआवजे की मांग को लेकर यहां किसान संघर्ष कर रहे हैं जो उंन्हे जल्द से जल्द मिलना चाहिए। कृषि बिल की वापसी को लेकर कैबिनेट की मंजूरी मिलने पर राकेश टिकैत ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी और कहाकि किसानों की पहली मांग थी जो सरकार ने मान ली है अच्छा कदम है। हालांकि किसान आंदोलन अभी खत्म नही होगा क्योंकि एमएसपी पर कानून बनना बाकी है।

29 नवंबर को किसान दिल्ली संसद के लिए कूच करेंगे

आपको बता दें 29 नवंबर को किसान दिल्ली संसद में प्रदर्शन कर सकते है। इसके साथ ही 1 जनवरी 2022 को केंद्र सरकार के सामने किसानों की आय दोगुना करने की मांग रखने वाली है।

पीएम ने कानून वापसी का किया था ऐलान

इस माहीने के आखिरी मे होने वाले संसद सत्र में कानून वापसी की प्रकिया पूरी कर दी जाएगी। देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री (Narendra Modi) ने कहा था कि शायद हम किसानों को समझा नहीं पाए, इसलिए हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विचार किया है । बिल वापसी की घोषणा के साथ पीएम ने देश की जनता से माफी भी मांगी थी।

किसानों को नहीं समझा पाए- पीएम

देशवासियों को संबोधित करते हुए गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएं दी थी। इसके साथ ही कृषि कानूनों को लेकर कहा था कि किसानों को सरकार नहीं समाझा पाई, पीएम ने कहा कि बेहद सुखद है कि डेढ़ साल के बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है। किसान हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। ये जमीनें छोटे किसानों की है और इसी के सहारे वे अपना घर-परिवार चलाते है।

पिछले साल संसद से पास हुए थे तीनों कृषि कानून

आपको बता दें तीन कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद में पारित हुआ था। इसके बाद से लगातार किसान संगठनों की तरफ से विरोध किया जा रहा था और कानूनों को वापिस लेने की मांग की जा रही थी। किसान संगठनों का तर्क था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP खत्म कर देगी। जबकि, सरकार का कहना था कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश का अवसर पैदा होगा और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। सरकार के साथ कई दौर की चर्चा के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन पाई। किसान दिल्ली की सीमाओं के आसपास आंदोलन करते रहे, इसकी आग यूपी में भी देखने को मिली थी।

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