16 जुलाई को पुलित्जर पुरस्कार विजेता दानिश सिद्दीकी की हत्या (Danish Siddiqui Death) कर दी गई थी। लेकिन इस बात को खुलासा नहीं हो पाया था कि आखिर उनकी हत्यो क्यों की गई। जानकारी के अनुसार, अब इस बात से पर्दा उठ गया है। तालिबान ने जानबूझकर सिद्दीकी को मौत के घाट उतार दिया था। ये खुलासा अमेरिकी मैग्जीन ने किया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि घायल दानिश को एक स्थानिय मस्जिद में पकड़ा गया था और जब पता चला कि वे भारतीय है तो उनको बेरहमी से मार दिया गया।बता दें सिद्दीकी उस समय जिंदा थे जब तालीबान के हाथ लगे थे।
मस्जिद में ली थी शरण
अफगान नेशनल आर्मी के काफिले पर हमले की वजह से दानिश स्थानीय मस्जिद में आ गए, जहां उनका इलाज किया जा रहा था। लेकिन कुछ देर बाद पत्रकार सिद्दीकी पर हमला कर दिया गया। और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। यूएस मैग्जीन की रिपोर्ट के हिसाब से सिद्दीकी को जान से मारने और फिर उनके शव को ठिकाने लगाने का काम किया गया। सिद्दीकी का शव 18 जुलाई को दिल्ली लाया गया और जामिया मिल्लिया इस्लामिया पर सुपुर्दे खाक किया गया था। अहम बात ये है कि इतना कुछ होने के बावजूद तालिबान ने कई बार दानिश सिद्दीकी की हत्या से इनकार किया था।
दरअसल, भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui Death) अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच संघर्ष को कवर कर रहे थे। उस समय वे अफगान नेशनल आर्मी टीम के साथ स्पिन बोल्डक क्षेत्र की यात्रा पर थे। वे पाकिस्तान के साथ लगी सीमा क्रॉसिंग पर नियंत्रण के लिए अफगान बलों और तालिबान के बीच चल रही जंग को दिल से कवर करना चाहते थे।
मौत की पुष्टि टीवी चैनल टोलो न्यूज के संपादक लोतफुल्ला नजफिदा ने की थी। निश सिद्धिकी की मौत की पुष्टि करते हुए ट्विटर पर लिखा है कि ”ये सुनकर गहरा आघात लगा है कि मेरे भारतीय दोस्त, पुलित्जर अवार्ड विजेता पत्रकार, दानिश सिद्धिकी की कंधार में हत्या कर दी गई है।
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