BHU बवाल पर चांसलर का दो टूक जवाब, नहीं रद्द होगी फिरोज खान की नियुक्ति

दिल्ली के जेएनयू (JNU) में फीस वृद्धि को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन अभी थमा नहीं कि यूपी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) भी छात्रों के विरोध प्रदर्शन से सुर्खियों में आ गया है।

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फिरोज खान

दिल्ली के जेएनयू (JNU) में फीस वृद्धि को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन अभी थमा नहीं कि यूपी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) भी छात्रों के विरोध प्रदर्शन से सुर्खियों में आ गया है। यहां विरोध फीस वृद्धि को लेकर नहीं, बल्कि किसी और बात को लेकर है। बता दें कि यहां छात्रों का विरोध तब शुरू हुआ, जब संस्कृत भाषा पढ़ाए जाने के लिए एक मुस्लिम असिसटेंट प्रोफेसर फिरोज खान को नियुक्त किया गया, जिसके बाद से ही उनकी नियुक्ति पर घमासान मचा हुआ है।

बीएचयू (BHU) में छात्रों का एक ग्रुप संस्कृत भाषा पढ़ाए जाने के लिए नियुक्त किए गए मुस्लिम असिसटेंट प्रोफेसर फिरोज खान का विरोध कई दिनों से कर रहा है। इस बीच बीएचयू के चांसलर जस्टिस गिरधर मालवीय खान के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों का कदम गलत है। महामना (BHU के संस्थापक, मदन मोहन मालवीय) की सोच व्यापक थी। यदि वह जीवित होते, तो निश्चित रूप से नियुक्ति का समर्थन करते। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बीएचयू फिरोज खान की नियुक्ति के फैसले को वापस नहीं लेगा।

वहीं चीफ प्रॉक्टर ओपी राय ने कहा कि विश्वविद्यालय ने नियमों का पालन किया। फैसला वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं है। छात्रों ने जो किया वो करने का उन्हें अधिकार है।

दूसरी तरफ, बॉलिवुड अभिनेता परेश रावल छात्रों द्वारा मुस्लिम असिसटेंट प्रोफेसर फिरोज खान का विरोध करने पर भड़क गए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘प्रोफेसर फिरोज खान के खिलाफ किए गए प्रोटेस्ट को देखकर दंग रह गया। भाषा का किसी धर्म से क्या ताल्लुक है? विडंबना यह है कि प्रफेसर फिरोज ने अपना मास्टर्स और पीएचडी संस्कृत में की है। भगवान के लिए यह मूर्खता बंद करें।’

इसके बाद परेश रावल ने एक और ट्विट कर कहा, ‘इसी लॉजिक से तो महान गायक मरहूम श्री मोहम्मद रफी जी को को भजन नहीं गाने चाहिए थे और नौशाद साहब को इनका म्यूजिक नहीं देना चाहिए था।’

बता दें कि इसके पहले बसपा सुप्रीमो मायावती भी फिरोज खान के समर्थन में सामने आईं और इस विवाद को बेवजह बताया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘बनारस हिन्दू केंन्द्रीय विवि में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कॉलर फिरोज खान को लेकर विवाद पर शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है। कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की अति-राजनीति से जोड़ने के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है।’

जानिए, क्या है पूरा मामला

बता दें कि बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में दो विभाग हैं जिनमें से एक संस्कृत भाषा, जोकि हिंदी विभाग के अंतर्गत आता है और दूसरा संस्कृत विद्या धर्म, जो विज्ञान विभाग के अंतर्गत आता है और यह अलग से बना हुआ विभाग है। इन दोनों में अलग-अलग तरीके की पढ़ाई होती है। संस्कृत विभाग में संस्कृत को भाषा की तरह पढ़ाया जाता है। वहीं, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग में सनातन धर्म के रीति-रिवाजों, मंत्रों, श्लोकों, पूजा पाठ के तौर-तरीकों और पूजा पाठ के बारे में बताया जाता है। विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि कोई मुस्लिम व्यक्ति कैसे हिन्दू धर्म के पूजा पाठ के बारे में बता सकता है, पढ़ा सकता है। छात्रों का विरोध इसी बात पर है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि यदि संस्कृत को भाषा के तौर पर किसी भी जाति-धर्म के टीचर द्वारा पढ़ाया जाता है तो उन्हें इस पर कोई ऐतराज नहीं है।

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