बुलंदशहर: कोरोना से निपटने में जुटे DM रविंद्र कुमार, कार्यों की हो रही है प्रशंसा

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बुलंदशहर: देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में कोरोना से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर हर संभव प्रयास कर रही हैं। तमाम सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान, पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य कर्मी लगातार कोरोना के साथ इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। इनमें एक नाम बुलंदशहर के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार का भी है।

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के डीएम रविंद्र कुमार एक ऐसे शख्स हैं, जो शुरुआत से ही कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में मुस्तैदी के साथ जुटे हुए हैं। वो तकनीक के सहारे कोरोना से बचाव के उपाय भी अपना रहे हैं। इसके लिए उनकी खूब सराहना की जा रही है।

दरअसल, रविंद्र कुमार लॉकडाउन के दूसरे चरण के दौरान जब अधिकारियों के साथ एक बैठक कर रहे थे, उस दौरान उन्हें पता चला कि एक छात्र रोबोट बनाना जानता है। इसके बाद उन्होंने बिना समय गवाएं छात्र को बुलाया उससे ‘टच फ्री हैंड सैनिटाइजर’ देने वाला रोबोट बनाने को कहा।

डीएम के कहने पर छात्र ने एक सप्ताह में ही ‘टच फ्री हैंड सैनिटाइजर’ बनाकर दे दिया। इसे कंट्रोल रूम के गेट पर रखवाया गया। इसकी खासियत ये है कि ये बिना छुए सिर्फ रोबोट के हाथ के नीचे हाथ ले जाने पर यह सैनिटाइजर (Sanitizer) रिलीज करता है। इससे बार-बार छूने से होने वाले संक्रमण के खतरे से भी बचा जा सकता है।

कंट्रोल रूम के दरवाजे पर लगा ‘डोर फेम मेटल डिटेक्टर’
इतना ही नहीं, जिलाधिकारी रवींद्र कुमार के कमरे के पास ही में बने कोविड कंट्रोल रूम के दरवाजे पर ‘डोर फेम मेटल डिटेक्टर’ भी लगा है। इसमें ‘ऑटोमैटिक बॉडी थर्मल स्कैनिंग डिवाइस’ और सीसीटीवी कैमरा भी लगा है। इस डिवाइस से गुजरने वाले हर व्यक्ति की न केवल दूर से थर्मल स्कैनिंग हो जाती है, बल्कि सीसीटीवी की मदद ने कंट्रोल रूम की स्क्रीन पर वीडियो भी आ जाता है। इससे यह पता चलता है कि, कंट्रोलरूम में आने वाले किस आदमी का ‘तापमान’ कितना है. वहीं, अगर तापमान अधिक है तो अलार्म भी बजता है और व्यक्ति को तुरंत कंट्रोल रूम के भीतर आने से मना कर दिया जाता है।

मरीजों को भोजन और दवाएं पहुंचाने के लिए भी रोबोट
वहीं, एक अन्य रोबोट बनवाकर डीएम ने उसे कोविड अस्पताल में मरीजों तक भोजन और दवाएं पहुंचाने के लिए दिया है। यह रोबोट एक गाड़ी की शक्ल में है, जिसमें सामान रखकर उसे रिमोट के जरिए मरीज के बेड तक पहुंचाया जाता है। मरीज रोबोट से भोजन और दवाएं निकाल लेता है। इससे डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के मरीज के पास न जाने से उनके संक्रमित होने की आशंका भी लगभग खत्म हो जाती है।

कोरोना की रोकथाम के लिए ‘ऑपरेशन कोरोना हंट’ शुरू
डीएम रविंद्र कुमार ने कोरोना की रोकथाम के लिए जिले में ‘ऑपरेशन कोरोना हंट’ शुरू किया है। इसके साथ ही 500 से ज्यादा थर्मल स्कैनर खरीदे गए हैं, जो अधिक से अधिक जांच में उपयोगी होंगे।
स्वास्थ्य विभाग में तैनात दो सौ एएनएम को थर्मल स्कैनर, पीपीइ किट (PPE Kit), मास्क, हेड कवर, ग्लव्स से लैस करके अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई। इसके अलावा 40 सर्विलांस की टीमें भी बनाई गईं। जिन्हें अलग-अलग तरीके का काम दिया गया है।

स्वयं सेवी संस्थाओं और NGO की महिलाओं का बढ़ा रहे उत्साह
डीएम रविंद्र न केवल कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं, बल्कि स्वयं सेवी संस्थाओं और एनजीओ की महिलाओं का भी उत्साहवर्धन कर रहे हैं। दरअसल, बुलंदशहर में ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं मास्क (Mask) का निर्माण कर रही हैं और स्थानीय प्रशासन की मदद से इन मास्कों की सप्लाई पूरे देश में की जा रही है।

माउंट एवरेस्ट की चोटी को किया फतह
मूलत: बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले रविंद्र कुमार 2011 बेच के आईएएस अधिकारी हैं। डीएम रविंद्र कुमार दो बार माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की चोटी भी फतह कर चुके हैं। साथ ही, रविंद्र कुमार ने ‘मेनी एवरेस्ट्स’ नाम से किताब भी लिखी है।

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