उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने हरीश रावत और अन्य के खिलाफ विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में केस दर्ज किया है।
सीबीआई ने 20 सितंबर को पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट कोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में सौंप दी है।
मामले की सुनवाई रहे नैनीताल हाईकोर्ट ने मामले को अलग पीठ में स्थानांतरित कर दिया है। साल 2016 में उत्तराखंड के तत्कालीन सीएम हरीश रावत को एक निजी समाचार चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन में कैमरे पर पकड़ा था।
रावत पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया गया था। इस बात पर चर्चा की गई थी कि विधायकों को खरीदा जा सकता है या नहीं।
Central Bureau of Investigation (CBI) has registered a case against former Chief Minister of Uttarakhand, Harish Rawat and others in connection with alleged MLA horse trading case. (File pic) pic.twitter.com/srcCMNuXBp
— ANI (@ANI) October 23, 2019
रावत की सरकार जाने के बाद राज्य सरकार और हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। हरीश रावत से एक बार पूछताछ की गई थी। वहीं स्टिंग करने वाले पत्रकार उमेश कुमार को इस साल उत्तराखंड पुलिस ने त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के नौकरशाहों और मंत्रियों को ब्लैकमेल करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
बता दें कि साल 2016 में एक निजी समाचार चैनल ने हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसके बाद उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार गिर गई, सरकार गिरने के बाद राज्यपाल की संस्तुति से हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू की थी।
विधायक खरीद-फरोख्त मामले में सीबीआई ने पिछले दिनों नैनीताल हाई कोर्ट में मॉडिफिकेशन एप्लीकेशन दायर की थी, जिसमें कहा गया कि इस मामले में सीबीआई की प्रारंभिक जांच पूरी हो चुकी है। अब सीबीआई इस मामले में हरीश रावत को गिरफ्तार करना चाहती है।
दिल्ली में कांग्रेस के बागी विधायकों ने एक स्टिंग की सीडी जारी की थी. हरीश रावत ने कहा था कि बीजेपी सीबीआई जांच के बहाने उन्हें जेल भेजना चाहती है. हरीश रावत ने स्टिंग में दिखाए गए बागी विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों से इनकार किया है.