दीपावली से पहले सेना प्रमुख बिपिन रावत उत्तराखंड के चमोली जिले से लगी चीन सीमा की निगहबानी में मुस्तैद सेना के जवानों से मुलाकातकी है। सेना प्रमुख ने मलारी में स्थानीय भोटिया जनजाति के ग्रामीणों के साथ अखरोट के पौधे रोपे। सीमा क्षेत्र से हो रहे पलायन को रोकने का संदेश दिया।
सेना प्रमुख के सीमा क्षेत्र के दौरे से सेना के अधिकारियों और जवानों में उत्साह है। जानकारी के अनुसार, सेना प्रमुख आज सुबह साढ़े दस बजे मलारी में सेना के हेलीपेड पर उतरे थे। सबसे पहले उन्होंने मलारी गांव के समीप भोटिया जनजाति के ग्रामीणों के साथ अखरोट के पौधे रोपे।
सेना प्रमुख विपिन रावात ने कहा, सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीण अखरोट के उत्पादन से स्वरोजगार कर सकते हैं। इससे आर्थिक स्थिति में मजबूत होगी। इसके अलावा क्षेत्र से पलायन भी रुकेगा। उन्होंने सेना के अधिकारियों और जवानों के साथ मुलाकात की। रावत ने कहा कि वे दीपावली पर्व पर जवानों से मिलने यहां पहुंचे हैं।
सेना प्रमुख ने ग्रामीणों के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया। ग्रामीणों ने नीती घाटी में संचार सेवा की बदहाली की समस्या भी सेना प्रमुख के सामने रखी। इस पर प्रमुख ने कहा, इस संबंध में उनकी मुख्यमंत्री से वार्ता हुई है। जल्द ही घाटी में संचार सेवा दुरुस्त हो जाएगी।
सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत करीब डेढ़ घंटे तक मलारी में रुके, इसके बाद हेलीकॉप्टर से देहरादून लौट गए। उन्होंने कहा की भारत के पड़ोसी देश चीन के साथ मलारी बोर्डर पर संबंध अच्छे हैं। सरहद पर रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए चिंता करने वाली कोई बात नहीं है।
मलारी गांव के भोटिया जन-जाती के लोगों ने जनरल रावत का ढोल-दमाऊ की थाप पर स्वागत किया। जनरल रावत ने यहां चौकियों में तैनात जवानों से मुलाकात कर उनके साथ जलपान किया, उन्होंने सैनिकों का हौसला अफजाई किया। इसी दौरान बेहतर कार्य करने वाले सेना के अधिकारी और सैनिकों को सेना प्रशस्ती पत्र मेडल भी दिए।