महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान जारी है। इसी बीच गुरूवार को शिवसेना के विधायक दल की बैठक हुई है। बैठक में एकनाथ शिंदे को विधानसभा में विधायक दल का नेता चुना गया है, इसके पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि वर्ली से चुनाव जीते आदित्य ठाकरे को विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है।
दिलचस्प है कि विधायक दल के नेता के लिए आदित्य ठाकरे ने ही एकनाथ शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा था। पार्टी ने इसके अलावा सुनील प्रभु को विधानसभा में चीफ व्हिप चुना है। विधायक दल की बैठक के बाद शिवसेना के MLA राज्यपाल से मुलाकात करेंगे।
शिवसेना पक्षप्रमुख मा. श्री. उद्धव साहेब ठाकरे यांच्या अध्यक्षतेखाली शिवसेनाभवन येथे पार पडलेल्या सर्व आमदारांच्या बैठकीत युवासेनाप्रमुख @AUThackeray यांनी आमदार @mieknathshinde जी यांचा शिवसेनेच्या विधिमंडळ गटनेतेपदाचा प्रस्ताव मांडला आणि सर्व आमदारांनी प्रस्तावाला मंजुरी दिली. pic.twitter.com/nm0mJH39Jb
— ShivSena – शिवसेना (@ShivSena) October 31, 2019
पार्टी के हवाले से ख़बर है कि सूखे के मुद्दे पर विधायक राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। जानकारी के अनुसार, राज्यपाल से मिलने वाले नेताओं में आदित्य ठाकरे, एकनाथ शिंदे, दिवाकर राउते, सुभाष देसाई और अन्य नए विधायक शामिल हैं।
गौरतलब है कि शिवसेना के विधायक दल की बैठक बाद पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद को लेकर तेवर तल्ख हैं। विधायक दल की बैठक से पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, ‘हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटे हैं, लेकिन हमारे दोस्त अपने वादों से पीछे हट गए हैं।
चुनाव से पहले 50-50 फॉर्मूले पर बात हुई थी, इसे देवेंद्र फडणवीस ने भी कबूला है।’ संजय राउत ने कहा, ‘अगर 105 विधायकों से समर्थन से मुख्यमंत्री पद मिलता हो, तो संविधान में वो कहां पर है, हमें दिखाएं।’
वहीं बीजेपी लगातार शिवसेना को प्रलोभन देने की कोशिश कर रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार गठन के लिए भाजपा ने शिवसेना को 13 मंत्रालय और एक डिप्टी सीएम पद ऑफर कर सकती है। हालांकि, भाजपा शिवसेना को वित्त मंत्रालय नहीं देना चाहती है। देखना ये होगा कि क्या शिवसेना को भीजेपी मना पाती है या फिर उसकी शर्त के अनुसार, महाराष्ट्र में 50- 50 फार्मूले के अनुसार सरकार का गठन होगा।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 105, शिवसेना को 56 विधायक मिले हैं। वहीं दोनों दल अपने-अपने स्तर पर निर्दलीयों का समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हैं। अब तक बीजेपी ने 15 निर्दलीय और शिवसेना ने 7 विधायकों के समर्थन मिलने का दावा किया है।