Rajasthan Suicide Case : सुसाइड नोट में अपना दर्द बयां कर कूद गया पानी के टांके में

'जातीय पंचो पर समाज के बहिष्कार करने का आरोप लगाया है और लिखा है कि पांचों के फैसले के बाद न उससे कोई मिलने आता था और न ही कोई उसे कोई उसे अपने पास बुलाता था। इसलिए मैं मर रहा हूँ'।

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सुसाइड नोट में अपना दर्द बयां कर कूदने वाला बाबूलाल मेघवा

Rajasthan Suicide Case : राजस्थान में एक व्यक्ति नेपानी के टांके में कूदकर अपनी जान दे दी। मरने से पहले उसने अपना दर्द एक सुसाइड नोट में लिखा और इस दुनिया को अलविदा कहते हुए पानी के टांके में कूद गया। उसने यह कदम जातीय पंचों के फैसले से आहत और समाज से वहिष्कृत होकर उठाया। जहां आज भी पंचायती फैसलों और सामाजिक रीति-रिवाजों का चलन है। इन रीतियों ने अपना फ़र्ज़ निभाते हुए एक व्यक्ति की जान ले ली।

घरवालों ने शव ले जाने से किया मना

यह घटना है राजस्थान(Rajasthan) के सीमावर्ती इलाके बाड़मेर के गिड़ा थाने की है जब एक परिवार ने मृतक का शव उठाने से मना कर दिया। परिवार वालों ने कहा जब तक पंचों पर कार्यवाही नहीं हो जाती तब तक वह इस शव को नहीं लेकर जायँगे। शव को लेकर परिवार वाले वहीँ धरने पर बैठ गए।

क्या था मामला ?

राजस्थान में गिड़ा थाने के अधीक्षक ने जानकारी देते हुए बताया कि गिड़ा थाने के खोकसर गांव के बाबूलाल मेघवाल ने पानी के टांके में कूदकर जान दे दी। मरने से पहले बाबूलाल ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था ‘जिसमें उसने जातीय पंचो पर समाज के बहिष्कार करने का आरोप लगाया है और लिखा है कि पांचों के फैसले के बाद न उससे कोई मिलने आता था और न ही कोई उसे कोई उसे अपने पास बुलाता था। इसलिए मैं मर रहा हूँ’

क्यों किया समाज से वहिष्कार ?

बाबूलाल के भाई ने बताया कि करीब 8 साल पहले बाबूलाल ने अपने भतीजे की शादी करायी थी। इस शादी में बाबूलाल ने मधयस्थता निभाने का कार्य किया था। परन्तु बाद में यह शादी टूट गई। जिसके चलते पंचायती राज के पंचो ने एक पंचायत बुलाई और बाबूलाल का विरोध करते हुए उसे समाज से वहिष्कृत कर दिया जिसके बाद से बाबूलाल दुखी रहने लगा और सुसाइड कर लिया

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