अलवर: बुलडोज़र से 300 साल पुराना शिव मंदिर तोड़ने का वीडियो वायरल, BJP ने कांग्रेस पर साधा निशाना

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Shiv Temple
राजस्थान में मंदिर तोड़ने का वीडियो वायरल/ Mohar Singh Meena

राजस्थान के अलवर जिले से एक शिव मंदिर (Shiv Temple) तोड़ने का वीडियो सामने आया है। ये वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है। मंदिर तोड़े जाने पर भाजपा कांग्रेस और सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साध रही है। उधर कांग्रेस ने भाजपा पर आपसी सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया है। 

मंदिर तोड़ने के इस वायरल वीडियो के बारे में अलवर कलेक्टर शिवप्रसाद नकाते ने बताया, “राजगढ़ नगर पालिका चेयरमैन की सर्व साधारण सभा में यह निर्णय लिया गया कि अतिक्रमण हटाने हैं। फिर चाहे इसमें मंदिर आएं या दुकानें। सर्व साधारण सभा की बैठक के मिनट्स हमारे पास हैं।”

क्लैक्टर ने आगे बताया कि मंदिर की प्रतिमाओं को सम्मानपूर्वक दूसरी जगह स्थापित कर दिया गया है। मंदिर हटाने के दौरान किसी का विरोध नहीं था और यह निर्णय नगर पालिका का था।”

सड़क चौड़ा करने के लिए तोड़ा गया मंदिर
Shiv Temple
Mohan Singh Meena

नगर पालिका के फैसले के अनुसार राजगढ़ कस्बे में एक सड़क को साठ फीट चौड़ा करने के लिए दोनों तरफ के मकान और दुकानें ध्वस्त की गईं। एक स्थानीय पत्रकार ने बताया है कि कार्रवाई से पहले लोगों को नोटिस भी दिए गए थे।

कार्रवाई 17 अप्रैल को की गई थी। कार्रवाई के तहत मंदिर (Shiv Temple) को बुलडोज़र से तोड़ा गया था। 22 अप्रैल यानी शुक्रवार को इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद बढ़ गया है।

भाजपा के राष्ट्रीय आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा, “राजस्थान के अलवर में विकास के नाम पर तोड़ा गया 300 साल पुराना शिव मंदिर… करौली और जहांगीरपुरी पर आंसू बहाना और हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाना- यही है कांग्रेस का सेक्युलरिज्म।”

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “18 अप्रैल को राजस्थान के राजगढ़ कस्बे में बिना नोटिस दिए प्रशासन ने हिंदुओं के 85 पक्के मकानों और दुकानों पर बुलडोज़र चला दिया।”

राजगढ़ नगर पालिका के सभापति भाजपा से हैं। ऐसे में कांग्रेस भी भाजपा पर हमलावर हो गई है।

भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस प्रवक्ता आरसी चौधरी ने बातचीत में कहा, “राजगढ़ की नगर पालिका के सभापति भाजपा से हैं। उन्होंने लोगों के घर तोड़े हैं। भारतीय जनता पार्टी का इतिहास रहा है मंदिर तोड़ने का, चाहे वो जयपुर में हो, अलवर में हो या अन्य किसी जगह पर हो। इन्हें राम राजनीति के लिए ही याद आते हैं। श्रद्धा के लिए नहीं।’’

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