Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे (EKnath Shinde) ने कहा कि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है इस पर एकनाथ शिंदे (EKnath Shinde) ने वकील ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि इस स्थिति में दल-बदल कानून तो लागू नहीं होता है। ये कानून तभी लग सकता है जब कोई सांसद या मंत्री किसी पार्टी को छोड़कर चला जाए या फिर किसी अन्य दूसरी पार्टी को ज्वाइन कर ले। वकील ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि पार्टी के विधायक सिर्फ ये चाहते हैं की पार्टी की लीडरशिप बदल जाए।
पार्टी को कोई छोड़ना नहीं चाहता है। विधायक सिर्फ पार्टी के नेतृत्व से नाराज हैं। एकनाथ शिंदे (EKnath Shinde) के साथ विधायक इसलिए गए थे क्योंकि बहुमत उनके पक्ष में था। एकनाथ के वकील हरीश साल्वे कि यह मामला पार्टी से अलग होने का नहीं है बल्कि पार्टी के अंदर ही तनाव और फेरबदल की मांग को लेकर था।
ठाकरे पक्ष के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस पर अपना तर्क देते हुए कहा है कि बागी विधायक पार्टी पर दावा नहीं कर सकते। अब भी एक तिहाई विधायक शिवसेना के साथ हैं। उन्होंने दलील पेश की कि बागी विधायकों को नया दल बनाना होगा या फिर किसी और पार्टी में शामिल होना होगा। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकर का गठन भी गलत तरीके से हुआ है और उसके द्वारा लिए गए सभी फैसले अवैध हैं।
कल फिर होगी सुनवाई
कपिल सिब्बल ने दलील पेश करते हुए कहा कि आप यह दावा नहीं कर सकते हैं कि आप राजनीतिक दल हैं। उन्होंने कहा कि आप यह बात गुवाहाटी में बैठकर कह रहे हैं कि आप राजनीतिक दल हैं। इसका फैसला चुनाव आयोग (Election Commission) करेगा आप नहीं कर सकते।
तीसरे अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी शिंदे का पक्ष रखते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे गुट के पास बचने का एक ही तरीका है कि वे अपने विधायकों समेत भाजपा में जाकर मिल जाएं। यह सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी है।