हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को आज यानी कि दिवाली के दिन दुबारा राज मिला है। दरअसल, मनोहर लाल खट्टर लगातार दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए हैं।
खट्टर ऐसे पहले गैर-जाट नेता हैं जो हरियाण के पहली और दूसरी बार लगातार मुख्यमंत्री बने, बता दें कि मनोहर लाल खट्टर ने राजभवन में मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ल। उनके बाद जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ने उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
गौरतलब है कि 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में बीजेपी को केवल 40 सीटें मिलीं। उसको बहुमत का आंकड़े के लिए सहयोग देने वाले दल की जरूरत थी। वहीं 9 महीने पहले बनी जेजेपी ने दस सीटों पर जीत दर्ज की थी। लिहाजा जेजेपी ने बीजेपी को अंदर से समर्थन देने की घोषणा की। अब इन दोनों दलों ने मिलकर हरियाणा में सरकार बना ली है।
उल्लेखनीय है कि जेजेपी से और बीजेपी के गठबंघन होने से पहले, निर्दलीय विधायकों समेत हरियाणा जनहित कांग्रेस चीफ गोपाल कांडा ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया था।
हालांकि, गीतिका शर्मा सुसाइड केस के आरोपों का सामना कर रहे कांडा के समर्थन लेने को लेकर बीजेपी की जमकर किरकिरी हुई। लिहाज बीजेपी ने कांडा का समर्थन लेने से मना कर दिया और जेजेपी के समर्थन के सरकार बनाने का ऐलान किया ।
कौन हैं दुष्यंत चौटाला ?
हरियाणा में ‘किंगमेकर’ की भूमिका वाले दुष्यंत चौटाला अपने ताऊ देवीलाल की विरासत के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। जेजेपी ने दुष्यंत चौटाला के दादा ओमप्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला के नेतृत्व वाली मूल पार्टी इनेलो को पछी छोड़ दिया है। इस चुनाव में इनेलो जो सिर्फ 1 सीट पर जीती है।
दुष्यंत चौटाला की छवि जाट समुदाय तथा युवाओं में एक सम्मानित नेता की है। बीते वर्ष इनेलो में दुष्यंत के पिता अजय चौटाला और चाचा अभय चौटाला के बीच दो फाड़ हो गया था। अजय और अभय पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पुत्र हैं।
मालूम हो कि अजय और उनके पिता इनेलो के कार्यकाल में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा काट रहे हैं। वहीं अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने इनेलो के उत्तराधिकार को लेकर अपने चाचा अभय के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने से अच्छा नई पार्टी बनाना उचित समझा था। उनका ये फैसला आज सही साबित हुआ है।