सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) में वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति पर सुनवाई की। इसी बीच केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर वायु प्रदूषण का डेटा दिया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एयर क्लीनिंग डिवाइस को लगाने के लिए कितना समय लगेगा। साथ ही कोर्ट ने पूछा कि चीन ने कैसे किया।
एक्सपर्ट ने कोर्ट में बताया कि हमारे यहां 1 किलोमीटर वाला डिवाइस है, चीन में 10 किलोमीटर तक कवर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप छोटे इलाके को क्यों कवर करना चाहते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस समय दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 600 को पार कर गया है। घर के कमरों में भी ऐसी ही स्थिति है। कोर्ट ने कहा, वायु प्रदूषण से हर कोई प्रभावित हो रहा है।
कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, वायु प्रदूषण को लेकर एक साल की स्टडी की जरूरत पड़ेगी। इस पर हैरानी भरे अंदाज में कोर्ट ने कहा, इतना समय ? केंद्र ने कहा वो कोर्ट में जवाब दाखिल करेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को समय दिया।वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा, ये बताइए कि ऑड-ईवन से वायु प्रदूषण को लेकर कोई फायदा हुआ है या नहीं? इसके जवाब में दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा, 10 अक्टूबर से हवा बेहद खराब हो गई है।
कोर्ट ने कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित है कि जब प्रदूषण स्तर अपने चरम पर है और आपने ऑड-ईवन लागू किया है, तो इसका क्या असर हुआ है? दिल्ली सरकार का आंकड़ा देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि ऑड-ईवन से प्रदूषण पर कोई असर नहीं पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा कि प्रदूषण का मुख्य जिम्मेदार पराली है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि 60 फीसदी प्रदूषण दिल्ली का अपना है। आप बताइए कि ऑड-ईवन से फायदा हुआ या नहीं। दिल्ली सरकार ने कहा कि ऑड-ईवन आज खत्म हो जाएगा।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा जब पिछले साल ऑड-ईवन नहीं लागू हुआ था तो प्रदूषण का स्तर क्या था? सुप्रीम कोर्ट ने डेटा को देखकर दिल्ली सरकार से कहा कि पिछले साल ऑड-ईवन लागू नहीं था, इस साल लागू है, दोनों ही एक जैसे हैं।