Delhi MCD: दिल्ली में तीनों नगर निगम को एक करने की कवायद चल रही हैं। इसे एक करने के लिए विधायक तैंयार है और अब उसे सांसद में पास करना भर रह गया हैं। क्योंकि बीजेपी के पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह बहुमत है ऐसे में बिल आसानी से पास हो जाएगा. इसके बाद तीनों नगर निगम को एक साथ करके चुनाव कराए जाएंगे. हालांकि चुनाव कब तक होंगे, इसे लेकर तारीख साफ नहीं है. पर इन सबके बीच एक अहम सवाल जो उठ रहा हैं वो यह की आखिर नगर निगम चुनाव से पहले तीनों नगर निगम को एक करने की जरूरत क्यों महसूस हुई, इस एकीकरण से क्या फायदा होगा, क्या एमसीडी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन की समस्या दूर होगी, आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब.
2012 से पहले एक ही नगर निगम था
बता दें कि लगभग 9 साल पहले तक दिल्ली में एक ही नगर निगम था, लेकिन 2012 के निगम चुनाव से पहले दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया। उस वक्त तर्क दिया गया था कि ऐसा करने से नगर निगम के कामकाज में सुधार लाया जा सकेगा और ये प्रभावी तरीके से जनता को सेवाएं दे सकेंगी। लेकिन नगर निगम को विभाजित करने के बाद से ही नगर निगमों के कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, उलटे निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गए कि कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया।
बता दें की अभी साउथ एमसीडी को छोड़कर ईस्ट और नॉर्थ एमसीडी दोनों की ही हालत बेहद खराब है. यहां ईडीएमसी के शिक्षकों को नवंबर 2021 से सैलरी नहीं मिली है. ईस्ट एमसीडी के पेंशनधारियों को सितंबर 2021 से पेंशन नहीं मिली है. ए ग्रुप के कर्मचारियों को अक्टूबर 2021 के बास से वेतन नहीं मिला है. अब अगर नॉर्थ एमसीडी की बात करें तो यहां टीचर्स को जनवरी से सैलरी नहीं मिली है. यहां के पेंशनधारियों को सितंबर 2021 से पेंशन नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से निगम कर्मचारियों को कई बार हड़ताल पर भी जाना पड़ा।
नगर निगम के एकीकरण से कैसे बनेगी बात
अब बात करें एकीकरण से इनकी समस्या कैसे दूर होगी तो यह नहीं कहा जा सकता है कि तीनों एमसीडी के एक होती ही समस्या खत्म हो जाएगी. दरअसल, इसमें थोड़ा टाइम लग सकता है लेकिन काफी हद तक एमसीडी की इनकम बढ़ जाएगी, खर्चे कम हो जाएंगे. ऐसे में एमसीडी की वित्तीय स्थिति भी ठीक हो जाएगी. अगर एमसीडी एक होती है तो तीन मेयर पर अलग से होने वाला लाखों का खर्च बचेगा. तीनों सदनों में होने वाला खर्च बचेगा. टैक्स से होने वाली इनकम एक साथ एक जगह जमा होगी, खर्च का बजट भी एक जगह बनेगा. ऐसे में भी बजट संतुलित होगा. तीन जगह फैसला न लेकर एक जगह से ही फैसला हो जाएगा.