संसद में बुधवार को मोदी कैबिनेट की अहम बैठक हुई। इस बैठक में नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दे दी गई है। इस बिल के समर्थन को लेकर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन) में मतभेद है।
दरअसल, कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रहे हैं, वहीं शिवसेना ने इस बिल का समर्थन किया है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है, घुसपैठियों के खिलाफ हमारा हमेशा से सख्त रवैया रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर हम सरकार के साथ हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दूसरों की भी राय-मशविरा जानना चाहिए, क्योंकि बिल को लेकर सभी राज्यों की अलग-अलग राय है।
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक को मोदी सरकार 9 दिसंबर को लोकसभा में चर्चा के लिए पेश करेगी। शिवसेना द्वारा विधेयक का समर्थन किए जाने के संकेत मिल रहे हैं, लिहाजा महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी में मतभेद नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस ने कहा, न्यूनतम साझा कार्यक्रम में तय किया गया था कि राष्ट्रीय मुद्दों जैसे नागरिकता संशोधन विधेयक पर आम सहमति के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा। जानकारी के अनुसार, मामले को लेकर कांग्रेस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात करेगी।
Congress Sources: In the Common Minimum Program (of Congress-NCP-Shiv Sena) it was decided that stand on national issues (Citizenship Amendment Bill) will be taken after consensus. Congress will talk to Uddhav Thackeray over it. pic.twitter.com/lpWUhku5dV
— ANI (@ANI) December 5, 2019
नागरिकता संशोधन विधेयक-
नागरिकता संशोधन विधेयक में नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है।
वर्तमान में किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य है। इस संशोधन के से सरकार नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल करना चाहती है।
अगर यह विधेयक पास हो जाता है, तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे।