New Delhi: कानपुर हत्याकांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे (Vikas Dubey Encounter) शुक्रवार सुबह एनकाउंटर में ढेर हो गया है। एसटीएफ गाड़ी उसे कानपुर ला रही थी। इस दौरान गाड़ी पलट गई। उसने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया है। गुरुवार को विकास दुबे (Vikas Dubey Encounter) उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया था।
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सूत्रों के अनुसार पूरे प्रदेश की पुलिस फोर्स विकास (Vikas Dubey) द्वारा की गई करतूत से गुस्से में थी। यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस के नेतृत्व ने तय कर लिया था कि इस मामले से संबंधित सभी आरोपियों का एनकाउंटर किया जाएगा। कुछ लोग ये भी कहते हुए नजर आए कि मुख्यमंत्री की ओर से पुलिस को इस मामले में अपने तरीके से काम करने की छूट दी गई थी।
विकास दुबे के एनकाउंटर पर अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। विकास के एनकाउंटर का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक जा पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि “दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है। इसका मतलब अगर इस आरोपी से ढंग से पूंछ तांछ होती तो सब खुलासा होता”
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वहीं एक्टिविस्ट डॉक्टर नूतन ठाकुर ने कहा हैं कि, विकास दुबे ने अपराध किया था, लेकिन जिस तरह से उसके बाद पुलिस ने गैर कानूनी काम किया वह निंदनीय है। उन्होंने आरोप लगाया कि, विकास के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और अतुल दूबे को गांव में मारा गया, वे इस घटना में शामिल नहीं थे। इसी तरह उसके सहयोगी प्रभात मिश्रा, प्रवीण दूबे और अब विकास दुबे का भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मारा जाना किसी को स्वीकार नहीं हो रहा है। पुलिस की कहानी में कई खामियां हैं। विकास का घर बिना आदेश के गिराया गया, उसकी पत्नी व बच्चे से बर्ताव भी असंवैधानिक और अनुचित था।
बता दें कि विकास दुबे के खिलाफ 60 से ज्यादा हत्या, रंगदारी जैसी संगीन में मामले दर्ज हैं लेकिन राजनीतिक संरक्षण की वजह से विकास के खिलाफ कभी कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया। इस बीच वो कई बार जेल भी गया लेकिन जमानत लेकर बाहर आ जाता था। उसने लूट, फिरौती से अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया था।