Haridwar Kumbh Mela 2021: कुंभ के लिए रेलवे देगा ये सुविधा, जानें शाही स्नान की डेट

कुंभ मेला आयोजित किया जाएगा, अगले साल 2021 में उत्तराखंड के हरिद्वार में ये मेला आयोजित होने जा रहा है।

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Haridwar Kumbh 2021
निरंजनी अखाड़े ने किया कुंभ समाप्ति का ऐलान, मेले में अब तक 2500 से ज्यादा कोरोना संक्रमित

Uttarakhand: हर साल की तरह इस साल भी कुंभ मेला (Haridwar Kumbh Mela 2021) आयोजित किया जाएगा, अगले साल 2021 में उत्तराखंड के हरिद्वार में ये मेला आयोजित होने जा रहा है। कोरोना महामारी के बीच भारत में ही नही बल्कि दुनियाभर में ये सबसे बड़ा आयोजन (Haridwar Kumbh Mela Bathing Date) होगा। 

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कोविड-19 को देखते हुए सरकार इस बार के आयोजन (Haridwar Kumbh Mela 2021) में अलग तरीके की रणनीति तैयार कर रही है। इसलिए सरकार का कहना है कि कोरोना वैक्सीन आए या ना आए मेले को लगाया जाएगा। कुंभ मेले का इंतजार भारत के अलावा बाकी जगाहों के लोग भी कर रहे हैं, ऐसे में कुंभ मेले का आयोजन रोकना सही नहीं होगा।

पहले की तरह कुंभ (Haridwar Kumbh Mela 2021) की मान्यता आज के दौर में भी बेहद अहम है। इसी वजह से सरकार ने कोरोना होते हुए भी ये फैसला लिया। बता दें हरिद्वार कुंभ 2021 का पहला शाही स्नान गुरुवार, 11 मार्च को होगा और इस दिन महाशिवरात्रि भी है। हरिद्वार कुंभ मेले को लेकर भारतीय रेलवे ने भी तैयारी शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार, कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े, इसलिए रेलवे नए स्टेशन बनाने जा रहा है। साथ ही मेले के लिए 35 नई स्पेशल ट्रेनें भी चालू करेगा।

आपको बता दें कि दुनियाभर के सबसे बड़े आयोजन की तैयारियों में केंद्र सरकार और त्रिवेंद्र सिंह (Trivendra singh Rawat) रावत सरकार अभी से जुट गई है। रेलवे ने इस बार ऐसी तैयारियां की है कि कुम्भ मेले में जाने वाले यात्रियों को स्टेशन पर ही रेलवे कर्मचारी मोबाइल से टिकट बनाकर देंगे। इसके लिए रेल कर्मियों को ब्लू टूथ प्रिंटर भी दिया जाएगा। हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर भीड़ को कंट्रोल करने के लिए ये सिस्टम बनाया गया है। 

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कुंभ का इतिहास-

कुंभ (Haridwar News) के समुद्र मंथन की कथा काफी प्रचलित है। जानकारी के अनुसार प्राचीन समय में एक बार महर्षि दुर्वासा के शाप की स्वर्ग श्रीहीन यानी स्वर्ग से ऐश्वर्य, धन, वैभव समाप्त हो गया था। जिसकी वजह से देवता इस समस्या के हल के लिए भगवान विष्णु के पास गए थे।

भगवान विष्णुजी ने देवताओं की बात सुनी और मिलकर समुद्र मंथन करने को कहा। साथ ही कहा कि समुद्र मंथन से (Haridwar Kumbh Mela Bathing Date) अमृत निकलेगा, और अमृत पान से सभी देवता अमर हो जाएंगे। देवताओं ने सारी बात असुरों के राजा बलि को बताई। उसके बाद वो भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। इस मंथन के दौरान वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की मदद से समुद्र को मथा गया था।

इसी कड़ी में 14 रत्न निकले थे। इन रत्नों में कालकूट विष, कामधेनु, उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, महालक्ष्मी, वारुणी देवी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, पांचजन्य शंख, भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले थे।जब अमृत कलश निकला तो सभी देवता और असुर इसे हासिल करना चाहते थे।

अमृत पाने के लिए देवताओं और दानवों में युद्ध होने (Haridwar Kumbh Mela Bathing Date) लगा। इस दौरान कलश से अमृत की बूंदें हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं। ये युद्ध 12 सालों तक चला था, इसलिए इन 4 स्थानों पर हर 12 साल में एक बार कुंभ मेला लगता है। इस मेले में सभी अखाड़ों के साधु-संत और सभी श्रद्धालु यहां आकर पवित्र नदियों में स्नान करते है और पूजा-अर्चना करते है।

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