Uttar Pradesh: अगर आप दो मजहब से ताल्लुक रखते हो और शादी करना चाहते हो तो आपके लिए ये खबर बेहद (Special Marriage Act) अहम है। इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब स्पेशल एक्ट के तहत आप एक महीने की शादी कर सकते है। क़ानून के अनुसार ये अर्ज़ी उन्हें शादी की तारीख़ से कम से कम महीने भर पहले देनी होती है। लेकिन अलग कास्ट में शादी करना इतना आसान होता तो ये एक्ट (Special Marriage Act) बनाया ही नहीं जाता।
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क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट-
स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act) के हिसाब से ऑफ़िसर इस अर्ज़ी को नोटिस की शक्ल में सरकारी दफ़्तर के नोटिस बोर्ड को देता है। इसका ये मतलब है कि जो लोग छुप-छुपकर शादी कर लेते है उन्हें ऐसा नहीं करना पड़ेगा। इस क़ानून के अनुसार उनके होम टाउन के मैरिज ऑफ़िस के दफ़्तर में ये नोटिस लगाए जाएंगे। इस प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर मैरिज ऑफ़िसर को एक साल तक की जेल भी हो सकती है। इस मामले पर जस्टिस विवेक चौधरी का कहना है कि अगर स्पैशल मैरिज एक्ट के तहत कोई शादी करना चाहता है और अपने पार्टनर के बारे में जानकारी लेना चाहता है तो वे सेक्शन 6 के तहत नोटिस का डाल सकता हैं।
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“ये उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा क्योंकि ये उन्होंने अपनी मर्ज़ी से चुना होगा। इसलिए सेक्शन 6 के तहत नोटिस लगवाना और सेक्शन 7 के तहत आपत्ति आमंत्रित करना शादी (Uttar Pradesh News) के इच्छुक लोगों की अपील पर ही संभव होगा, इसके अलावा नहीं होगा।”कोर्ट का कहना है कि जो लोग इस एक्ट के सेक्शन 5 के तहत शादी करने का नोटिस देते हैं तो उस वक़्त साथ ही साथ उनके पास मैरिज ऑफ़िसर से लिखित में ये अपील करने का भी विकल्प होगा कि वे अपनी शादी का नोटिस बताना चाहते हैं या नहीं।”
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