Uttar Pradesh: अयोध्या में राम मंदीर के विवाद के बाद अब श्री कृष्ण के जन्मभूमि (Krishna Janmabhoomi) का मामला भी कोर्ट में पहुंच गया है। श्री कृष्ण विराजमान ने मथुरा की अदालत में एक सिविल मुकदमा दायर कर 13.37 एकड़ की कृष्ण जन्मभूमि का स्वामित्व मांगा गया है और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने याचिका दायर की है।
जानें राम मंदिर के भूमि पूजन से जुड़ी हर एक अपडेट
इस याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया है। यह केस भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है। बता दें कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन कराने वाले वृंदावन के मुख्य पंडित गंगाधर पाठक ने पूजा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ एवं मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Krishna Janmabhoomi) भी मुक्त होना चाहिए।
क्या है 1968 समझौता?
1951 में एक ट्रस्ट बनाया, जिसमें विशेष रूप से उल्लेख किया गया था कि पूरी 13.37 एकड़ जमीन ट्रस्ट में निहित होगी और यह एक शानदार मंदिर का निर्माण करेगी। अक्टूबर 1968 में, श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह सोसाइटी के बीच एक समझौता किया गया, भले ही सोसाइटी के पास भूमि पर कोई स्वामित्व नहीं था। सूट के अनुसार, सोसाइटी ने देवता और भक्तों के हित के खिलाफ ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह की कुछ मांगों को स्वीकार कर लिया।
यह ऐक्ट बन रहा है रुकावट
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 इस मामले के आड़े आ रहा है। इस एक्ट के जरिये विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमेबाजी को लेकर मालकिना हक पर मुकदमे में छूट दी गई थी। वहीं मथुरा-काशी समेत सभी धार्मिक या आस्था स्थलों के विवादों पर मुकदमेबाजी से रोक दिया गया था। इस ऐक्ट के मुताबिक, आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था, उसी का रहेगा।
ये भी पढ़ें- राम हमारे मन में बसे हैं, पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें