कोरोना से बचना है तो हाथ के साथ जूतों को भी करना होगा सैनिटाइज

जालंधर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, एनआइटी) के विशेषज्ञों ने बताया है कि जूतों को सैनिटाइज करने के लिए शू सैनिटाइजिंग पौंड (Sanitizer Shoes) बनाया जा सकता है

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sanitizer shoes
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Sanitizer Shoes: कोरोना से बचने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जो गाइडलाइन्स जारी की गई थी, उसमें बार-बार हाथ धोने के लिए प्रमुखता से कहा गया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाथ से ही नहीं बल्कि जूतों (Sanitizer Shoes) से भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है। चलिए बताते हैं आपको-

जानकारी के लिए बता दें कि जालंधर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, एनआइटी) के विशेषज्ञों ने बताया है कि जूतों को सैनिटाइज करने के लिए शू सैनिटाइजिंग पौंड (Sanitizer Shoes) बनाया जा सकता है, जो महंगे शू सैनिटाइजिंग मैट्स की तुलना में बेहतर विकल्प है।

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संस्थान के डायरेक्टर डॉ. ललित कुमार अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि शू सैनिटाइजिंग पौंड को प्रायोगिक तौर पर कैंपस के प्रवेश द्वार के एक ओर बनवाया गया है। अब ये अनिवार्य कर दिया गया है कि इसका इस्तेमाल करने के बाद ही संस्थान में प्रवेश किया जाएगा।

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ये होगी खासियत

बता दें कि संस्थान में आने वाले हर व्यक्ति को इस पैड के ऊपर से 22 से 28 सेकेंड तक चलकर आना होगा, इससे जूतों के सोल पर लगा संक्रमण दूर हो जाएगा। इसे 24 घंटे इस्तेमाल किया जा सकेगा। एक बार के में पांच लीटर सॉल्यूशन लगेगा। विश्व स्वास्थ संगठन(WHO) ने इसे प्रमाणित किया है कि कोरोना को मारने के लिए एक फीसद सोडियम हाइपोक्लोराइट का घोल कारगर है। एक बार घोल बनाकर पौंड में डालने पर तीन से चार घंटे के लिए काफी रहेगा। घरों की बात करें तो द्वार पर उपयोग करने के लिए छोटे आकार का शू सैनिटाइजिंग पौंड तैयार किया जा सकता है।

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