New Delhi: एक तरफ कोरोना वायरस (Prevention of Covid-19) तेजी से बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ रेमडीसिवर इंजेक्शन की मांग भी बढ़ती जा रही है। इस दवा के लिए लोगों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। कोरोना के इस दौर में इस इंजेक्शन को जीवन रक्षक दवा के रूप में देखा जा रहा है। यही वजह है कि रेमडीसिविर इंजेक्शन (Prevention of Covid-19) को लोग हर कीमत पर खरीदने को तैयार है।
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क्या है रेमडीसिवर
ये एक एंटीवायरल (Prevention of Covid-19) दावा है, जिसे अमेरिका की गिलियड साइंसेज कंपनी ने बनाया है। करीब एक दशक पहले हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस का इलाज करने के लिए बनाया गया था, लेकिन बाजार में लाने की अनुमति नहीं मिली। एक बार फिर इस दवा कि डिमांड शुरु हो गई है। रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जाता है। हालांकि, कोरोना के इलाज में इसके प्रभावी ढ़ंग से काम करने को किसी ने मान्यता नहीं दी है। WHO ने भी ये कह दिया था कि रेमडेसिविर कोरोना को खत्म करने का इलाज नहीं है।
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भारत में क्यों आई दिक्कत
देश में कोरोना (Coronavirus) के मरीज बढ़ते जा रहे है, जिसकी वजह से क्रिटिकल मरीजों के लिए रेमडेसिविर की मांग बहुत ही ज्यादा बढ़ी हैं। पिछले साल के आखिरी में इस कोरोना के नए मामलों में कमी आऩे के बाद रेमडीसिविर दवा का उत्पादन कम कर दिया गया था। अहम बात ये है कि इंजेक्शन की जमाखोरी और कालाबाजारी की समस्या ने इस कमी को और गंभीर बना दिया है।
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