New Delhi: दिल्ली की केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal) और केंद्र एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। इस बार टकराव की वजह सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन (GNCTD) विधेयक बन रहा है। केंद्र की इस बिल के अनुसार दिल्ली में उपराज्यपाल की भूमिका बढ़ सकती है। जिसको लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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हालांकि आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद से ऐसा कई बार देखा गया है। जब केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal) और अधिकारों की बीच जंग छिड़ी जाती हैं। यही कारण रहा था जब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। जिसको लेकर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने उन फैसलों में राज्य सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों को परिभाषित कर दिया था। लेकिन अब एक बार फिर ये मसला गर्माता हुआ दिख रहा है।
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क्या है GNCTD बिल?
केंद्र सरकार ने जो बिल (GNCTD) पेश किया है उसमें दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल की जिम्मेदारियों को बताया गया है। बिल में कहा गया है राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा। वहीं बिल में ये भी कहा गया है कि राज्य सरकार कैबिनेट या फिर किसी मंत्री द्वारा कोई भी शासनात्मक फैसला लिया जाता है तो उसमें उपराज्यपाल की राय या मंजूरी जरूरी है। साथ ही विधानसभा के पास अपनी मर्जी से कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा।
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