New Delhi: आज ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस दिन को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है। इसका व्रत खने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।
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निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi 2021 Vrat Katha)
यह घटना महाभारत की है जब पाण्डव अज्ञातवास के दौरान ब्राह्मणों के रूप में रह रहे थे। सभी पाण्डव नियमित रूप से एकादशी का व्रत रखते थे लेकिन भीमसेन से भूख बर्दाश्त नहीं होती थी। भीम सही तरीके से व्रत पूरा नहीं कर पाते थे, इससे भीम के मन में बहुत ग्लानि होने लगी। उन्होनें इस समस्या का हल निकालने के लिए महर्षि वेद व्यास जी का स्मरण किया। अपनी समस्या व्यास जी के सामने रखी। व्यास जी ने भीम को पुराणों में वर्णित निर्जला एकादशी के बारे में बताया और कहा कि निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों के व्रत में सबसे कठिन है लेकिन इसको पूरा करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल एक साथ मिल जाता है।
भीमसेन ने पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ निर्जला एकादशी का व्रत रखा और अपनी ग्लानी से मुक्ति पाई। इस दिन से ही निर्जला एकादशी को पाण्डव एकादशी या भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
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एकादशी का शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi 2021 Shubh Muhurat)
20 जून को शाम 04:21 बजे से शुरु होकर 21 जून दोपहर 01:31 तक खत्म हो (Nirjala Ekadashi 2021) जाएगी। व्रत 22 जून को खोला जाना चाहिए।
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