SC-ST एक्ट: सरकार के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट, पलटा अपना फैसला

एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Ac) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार अर्जी को स्वीकार कर लिया और इस तरह तीन जजों की बेंच ने...

0
1188
UP Panchayat Chunav
UP Panchayat Chunav: नई आरक्षण सूची को Supreme Court में चुनौती, अब क्या होगा?

एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Ac) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार अर्जी को स्वीकार कर लिया और इस तरह तीन जजों की बेंच ने पिछले साल दिए गए दो जजों की बेंच के फैसले को रद्द कर दिया है। बता दें कि 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में बदलाव करते हुए कहा था कि केस दर्ज होने पर बिना जांच के तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। यानी पहले जांच होगी और फिर गिरफ्तारी। लेकिन अब कोर्ट ने यह बदल दिया है। जांच अब पहले जरूरी नहीं है। यानी अब इस एक्ट के तहत पहले की तरह ही शिकायत के बाद तुरंत गिरफ्तारी हो सकेगी। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने यह फैसला सुनाया।

मंगलवार को तीन जजों की बेंच ने कहा कि देश में एससी/एसटी के लोगों का संघर्ष अभी भी खत्म नहीं हुआ है। अभी भी एससी/एसटी समुदाय के लोगों को देश में छुआछूत और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। उनका अभी भी सामाजिक रूप से बहिष्कार किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15 के तहत अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोगों को संरक्षण प्राप्त है, लेकिन फिर भी उनके साथ भेदभाव हो रहा है। इस कानून के प्रावधानों के दुरुपयोग और झूठे मामले दायर करने के मुद्दे पर न्यायालय ने कहा कि ये जाति व्यवस्था की वजह से नहीं, बल्कि मानवीय विफलता का नतीजा है।

गौरतलब है कि पिछले साल दिए इस फैसले में कोर्ट ने माना था कि एससी/एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी की व्यवस्था के चलते कई बार बेकसूर लोगों को जेल जाना पड़ता है। लिहाजा कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मामले में अंतरिम जमानत का प्रावधान किया गया था और गिरफ्तारी से पहले पुलिस को एक प्रारंभिक जांच करनी थी। इस फैसले के बाद एससी/एसटी समुदाय के लोग देशभर में व्यापक प्रदर्शन किए थे, जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने कोर्ट में एक याचिका दायर की थी और बाद में कोर्ट के आदेश के खिलाफ कानून में आवश्यक संशोधन किए थे।

संशोधित कानून के लागू होने पर कोर्ट ने किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई थी। सरकार के इस फैसले के बाद कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई। इसमें आरोप लगाया गया था कि संसद ने मनमाने तरीके से इस कानून को लागू कराया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here