Religion: भगवान विष्णु जग के पालनहार, कलयुग में कल्कि के रुप में लेंगे अवतार ! पढ़ें पूरी खबर

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kalki avtar

Religion: इस समय में जो युग चल रहा है उसको कलयुग (Kalyug) कहा जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि कलयुग में देवी देवता वास नहीं करते हैं। लेकिन हनुमान जी (Hanuman ji) एक ऐसे देवता हैं जिन्हें कलयुग के देवता के नाम से जाना जाता है। लोग कहते है जो भक्त हनुमान जी की आराधना करता है, उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। हनुमान जी अपने भक्तों का हर संकट हर लेते है। हनुमान जी कलयुग में जागृत और साक्षात शक्ति है जिनके समक्ष कोई मायावी शक्ति नहीं ठहर पाती है। ऐसा माना जाता है कि जहां भी भगवान राम (Lord Ram) की पूजा होती है या फिर रामायण का पाठ होता है वहां पर भक्त हनुमान किसी न किसी रूप में अवश्य पहुंचते हैं।

कलयुग सबसे छोटा कालखंड

वही एक और कथा बताई गई है। जहां कलयुग का कालखंड सबसे छोटा माना गया है और माना जाता है कि कलयुग में भगवान विष्णु का दंसवा अवतार होगा, जिसका नाम होगा कल्कि अवतार। वर्तमान समय में कलयुग ही चल रहा है ये तो सब जानते है। हमने अपने मां और बुजुर्गों से सुना होगा की अंत में कल्कि अवतार का जन्म होगा। नंगी तलवार हाथ में लेकर घोड़े पर बैठ कर राक्षस का संगार करेंगा।

कहा गया है की कन्याएं 12 साल में ही गर्भवती होने लगेंगी, मनुष्य की आयु काम हो जाएगी। लोग जीवन भर की कमाई एक घर बनाने में लगा देंगे। इन सबके बावजूद जब पराशर ऋषि से सभी देवताओं ने पूछा कि सभी युगों में कौन सबसे बढ़िया है तो ऋषि ने वेदव्यासजी के कथनों का जिक्र करते हुं समझाया कि सबसे उत्तम कलियुग है। आइए जानें व्यासजी ने विष्णु पुराण में क्यों कहा है कलियुग को धन्य और सबसे उत्तम।

व्यासजी ने विष्णु पुराण में ऐसे क्यों कहा है

बता दें कि कलयुग में पाप और अत्याचार का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेंगे। Bhagavad Gita में यह बात कही गई है कि जब-जब अधर्म और पाप का बोलबाला होता है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए भगवान अवतरित होते हैं। Bhagavad Gita में इस बात का वर्णन किया गया है कि भगवान कल्कि का अवतार कलयुग के अंत और सतयुग के संधि काल में होगा।

ऐसी मान्यता है कि कल्कि अवतार में भगवान विष्णु देवदत्त नामक सफेद घोड़े पर अवतरित होकर आएंगे और वह धर्म की स्थापना में सहयोग करेंगे. उनके अवतरित होते ही सतयुग का आरंभ होगा।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लगभग 300 साल से ही कल्कि भगवान की पूजा-अर्चना होती चली आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम के समान ही कल्कि भगवान के तीन और भाई होंगे, जिनका नाम सुमंत, प्राज्ञ व कवि होंगे। इन्हीं भाइयों के साथ मिलकर भगवान विष्णु धर्म की स्थापना करेंगे।

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