Jaipur: राजस्थान (Rajasthan Political Crisis) के राजनीतिक घमासान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) शनिवार रात अचानक राजभवन में पहुंचकर राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) से मिलने पहुंचे। दोनों के बीच करीब 45 मिनट की मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई। ऐसे में चर्चा है कि बुधवार से विधानसभा का एक संक्षिप्त सत्र बुलाया जा सकता है।
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सियासी संकट (Rajasthan Political Crisis) के बीच सरकार खुद फ्लोर टेस्ट के जरिए अपना बहुमत सिद्ध करना चाह रही है, लेकिन यदि बहुमत का परीक्षण होता है और विधानसभा का सत्र शुरू होता है तो यहां सचिन पायलट खेमे को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हम आपको बताते है कि विधानसभा का सत्र शुरू हुआ तो सचिन पायलट खेमे पर क्या असर पड़ेगा।
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दरअसल विधानसभा सत्र से पहले होने वाली विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए और विधानसभा में पार्टी को समर्थन देने के लिए जारी व्हिप को सचिन पायलट खेमे के कांग्रेसी विधायकों को मानना पड़ेगा। अगर विधायक बैठक के लिए पहुंचे और सदन में कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग की तो इन विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी। लेकिन, यदि व्हिप का उल्लंघन कर पायलट खेमे से जो भी नहीं पहुंचेगा। दल-बदल कानून के तहत उसकी विधानसभा से सदस्यता चली जाएगी। ऐसे में यदि सदस्यता जाती है तो पायलट खेमे के विधायकों को उप चुनाव का सामना करना पड़ सकता है।
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आपको बता दें कि गहलोत के साथ कांग्रेस के 88, बीटीपी के 2, आरएलडी के 1 और 10 निर्दलीय विधायक हैं। इसके साथ ही माकपा के बलवान पूनिया ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है। हालांकि, माकपा के दूसरे विधायक गिरधारीलाल भी गहलोत खेमे का समर्थन कर सकते है। ऐसे में कांग्रेस का आंकड़ा 102 या 103 हो सकता है। जबकि पायलट गुट के साथ कांग्रेस के 19 और निर्दलीय तीन विधायक हो सकते हैं। वही, भारतीय जनता पार्टी के पास 72 और रालोपा के 3 विधायकों का समर्थन यानी कुल 75 विधायक हैं।म