मुंबई। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को 11 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी उस घटना को याद करके दिल दहल जाता है। आज भी वो खतरनाक मंजर आंखों के सामने आकर दिस में दबे उस दर्द का ताजा कर देता है। इस हादसे में 170 से ज्यादा लोग मौत की नींद सो गए।
26-11 की शाम को जब कुछ सामान्य था, लेकिन जैसे-जैसे रात का अंधेरा छाया वैसे-वैसे मुंबई में चीख-पुकार मचने लगी। आज के दिन आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल सहित 6 जगहों पर हमला कर दिया था। इस हमले में जो भी सामने आया आतंकियों ने उसे ही मौत के घाट उतार दिया।
इस हमले में सबसे ज्यादा लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में मारे गए। जबकि ताजमहल होटल में 31 लोगों को आतंकियों ने अपना शिकार बनाया। 60 घंटों तक सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में करीब 170 लोगों की जानें गईं, लेकिन हमारे वीर जवानों ने इसे काबू में कर लिया।
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इन वीरों में एक थे तत्कालीन एटीएस (ATS) चीफ हेमंत करकरे, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए लोगों की जान बचाई और आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गए। हेमंत करकरे को 9.45 बजे खाना खाते वक्त फोन से आतंकी हमले की जानकारी मिली। वे उसी समय अपने घर से निकल गए।
आतंकियों को ढूंढते हुए जब वह सेंट जेवियर्स कॉलेज के पास पहुंचे, तो एक पतली गली गली में आतंकियों ने एके-47 से उनकी गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें हेमंत करकरे सहित अन्य पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए। हेमंत करकरे की वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।