Indresh Kumar: संघ प्रमुख मोहन भागवत, संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar), डॉक्टर कृष्ण गोपाल और राम लाल मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिलते रहे हैं। आपको बता दें कि इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) 20 से अधिक वर्षों से देश भर के मुसलमानों में राष्ट्रवाद की अलख जगाने का काम करते आ रहे हैं। अब इस कड़ी में नई कवायद राजधानी (Delhi) में देखने को मिली। जहां, गैर सरकारी स्तर पर हुए सबसे बड़े कवायद में भारत और दर्जन भर मुस्लिम देशों ने एक नई मुहिम की शुरु किया है। इसमें अनेकता में एकता, समन्वय,शिक्षा, सौहार्द, सहयोग, संस्कृति, साहित्य, धार्मिक संयम, व्यापार और सम्मान पर ज़ोर दिया गया है।
विदेशी मेहमानों का भी जमावड़ा
वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) के नेतृत्व में हुए जेएनयू (JNU) की जमीं पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में दर्जन भर मुस्लिम देशों के उच्चायुक्त, डिप्लोमेट्स, स्कॉलर्स और बुद्धिजीवी शामिल हुए। जो लोग शामिल हुए उनमें तुर्की से फिरत सोनल, ईरान से इराज इलाही, कजाकिस्तान से नूरलान जालगैसबेव, ताजिकिस्तान से लुकमोन बाबा कोलाजदेह, और हबीबुल्लो मिर्जोजोदा, किर्गिस्तान से आसीन ईसाएव, उज़्बेकिस्तान से दिलसोद अख्तोव और अजीज बरतौन, तुर्कमेनिस्तान से शालर गेल्डीनजारव, मंगोलिया से गैनबोल्ड दंबजाव, आर्मेनिया से आर्मेन मार्टिरोस्यन, ने शिरकत की।
वक्ताओं में इराज इलाही, दरखन सेतनोव, हबीबुल्लो मिर्जोजोदा, अजीज बरतोव और इज्जेंदर अटालियेव मुख्य तौर पर रहे। साथ ही सभी का मानना है कि भारत हमारा बड़ा भाई है और वह आगे बढ़ कर विश्वगुरु की भूमिका निभाए। इस पर इंद्रेश कुमार ने साफ किया कि हमारी वसुधैव कुटुंबकम् की संकल्पना सभी को परिवार मानकर चलने की है। भारत विविधता से भरा हुआ देश है और विविधताओं को भिन्नता बताएंगे तो विवादों को जन्म मिलेगा।
मिशन डॉक्यूमेंट
राजदूतों, उच्चायुक्तों और प्रतिनिधियों ने मांग रखी कि पूरे कार्यक्रम पर संघ नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) के नेतृत्व में एक “चार्टर्ड मिशन डॉक्यूमेंट” जिसे “विजन डॉक्यूमेंट” भी कहा जा सकता है, तैयार हो। संघ नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार करते हुए मिशन डॉक्यूमेंट बनाने का जिम्मा ले लिया। दो दिन की चर्चा और गहन मंथन के बाद सभी पॉइंट्स ढंग से रखे गए जिस पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सभी ने मिशन डॉक्यूमेंट पर अपनी सहमति दी।
मंत्रियों ने भी लिया हिस्सा (Indresh Kumar)
आपको बता दें कि सेमिनार में भारत सरकार के राज्य मंत्री डॉक्टर सुभाष सरकार और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, इंदिरा गांधी कला केंद्र के सचिव प्रो. सचिदानंद जोशी, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के महामंत्री गोलोक बिहारी और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के संयोजक जामिया मिलिया इस्लामिया से प्रो. एम महताब आलम रिजवी ने भी भाग लिया।
हिमालय हिन्द राष्ट्र समूह, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (FANS) और स्कूल ऑफ लैंग्वेज लिटरेचर एंड कल्चर स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारत और मध्य एशिया ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व आर्थिक संपर्क विषय पर जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार हुआ था जिसमें सभी देश के प्रतिनिधिगण जुटे थे।
शांति का मार्ग एशिया
आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों ने अपनी बातें रखी। इंद्रेश कुमार ने कहा कि शांति, विकास, सद्भाव और मानवता का दुश्मन आतंकवाद है। उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में आतंकवाद, माओवाद, नक्सलवाद जैसी असमाजिक चीजों की कोई जगह नहीं होती है, सभी देशों ने एकजुट होकर इसका विरोध किया। संघ नेता इंद्रेश कुमार की बातों का सभी देशों ने स्वागत किया। प्रतिनिधियों ने कहा कि वे इसे अपने देशों में पनपने नहीं देंगे और दुनिया से भी अपील करते हैं कि सभी देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों।
डिजिटल का दौर
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मुख्य संरक्षक ने कहा कि विश्वशांति और विकास के लिए धर्मांतरण पर रोक जरूरी है। इससे दंगामुक्त मानवता और गौरवशाली राष्ट्र बनाया जा सकता है। संघ नेता के इस वक्तव्य की सराहना करते हुए मौजूद सभी देशों के प्रतिनिधियों ने धर्मांतरण पर एकजुट होकर विरोध जताया और माना कि धार्मिक उन्माद, छेड़छाड़ और धर्मांतरण अधर्म का रास्ता है और इस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए।
आतंकवाद पर प्रहार
सेमिनार में यह बात आई कि विश्वशांति एवं प्रगति का मार्ग एशिया से होकर गुजरता है। भारत के बिना विश्व में शांति एवं सद्भाव स्थापित नहीं किया जा सकता है। सभी देशों को आपस में सहयोग और समन्वय बढ़ाना चाहिए। इंद्रेश कुमार ने कहा कि, इससे आपसी संवाद, साहित्य, संस्कृति, कला, शिक्षा, और व्यापार में वृद्धि होगी। इस बात पर भी सहमति बनी की हवाई मार्ग के अतिरिक्त सड़क और समुद्र के रास्तों के जरिए आपसी एकता अखंडता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
धर्मों का सम्मान
आज डिजिटल का जमाना है, सेकंड भर में चीजों को विस्तार मिल जाता है। ऐसे में यह भी अहम है कि कार्यक्रम में आए देशों के रिश्तों की मिठास के लिए तीव्र गति से संवाद, व्यापार और सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से डिजिटल शक्तियों पर भी भरपूर काम किया जाना चाहिए। उनकी बात का प्रतिनिधियों ने ताली बजा कर स्वागत किया।
डिजिटल का दौर
सेमिनार के अंत में मौजूद सभी देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों, बुद्धिजीवियों और प्रतिनिधियों ने जलती हुई मोमबतियों के साथ एक साथ नारा लगाया कि, “अंधकार मिटायेंगे, प्रकाश लायेंगे”.. “आवाज़ दो हम एक हैं”… “हमारा रास्ता नफरत, दंगा, युद्ध नहीं बल्कि शांति सद्भाव, भाईचारा और विकास है”।
अतिथियों में देश-विदेश के लोग
मौजूद विशिष्ट अतिथि में डीन जेएनयू प्रो. मजहर आसिफ, आर.डी.एफ.आई.एच. के निदेशक महेश चंद्र शर्मा, लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त आर. एन. सिंह, सेवानिवृत मेजर जनरल एस भट्टाचार्य समेत अनेकों गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। खासियत यह रही की देश के उत्तर से लेकर दक्षिण, पूर्व से लेकर पश्चिम तक के लोगों ने सेमिनार में सम्मिलित होकर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की शोभा बढ़ाई। सम्मिलित होने वालों में समाज के हर धर्म, समुदाय, वर्ग और तबके के लोग रहे।
बैठक में मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भारी संख्या में शिरकत किया। जिसका एक स्वाभाविक कारण रहा दर्जन भर मुस्लिम देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों, प्रतिनिधियों मिला कर 50 से ऊपर विदेशी मेहमानों का सम्मिलित होना। दो दिन के सेमिनार में तकरीबन हजार लोगों ने सभी मुद्दों को बड़ी रुचि के साथ सुना और वक्ताओं का जोरदार अभिनंदन किया।