Jammu Kashmir: भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में कुछ वर्ष पहले तक, सिर्फ आतंकवाद का डर, गोलियों की आवाज़ और पत्थरबाज़ी का शोर ही सुनाई देता था, लेकिन अब कश्मीर विकास की राह पर निकल गया है।
कश्मीर में अब युवा रोजगार की ओर अग्रसर हो रहे है और भारतीय सेना आतंकवाद को जड़ से ख़त्म कर रही है।
पिछले कई महीने में भारतीय सेना न सिर्फ आतंकवादियों को बल्कि आतंक को भी जड़ से खत्म करने के प्रयासो में लगी हुई है।
Jammu Kashmir में सेना कर रही आतंक को ख़त्म
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर ( jammu and kashmir) में इस साल आतंक विरोधी अभियान में सुरक्षाबलों और स्थानीय पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. साल 2021 में पहले 4 महीनों के अंदर पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में कश्मीर घाटी में ढेर आतंकवादियों की संख्या में बढ़त दर्ज की गई है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ( Police ) ने आंकड़ों के हवाले से बताया कि इस साल की शुरुआत से अब तक घाटी में 62 आतंकवादी मारे जा चुके हैं. इनमें से 15 की पहचान पकिस्तानी ( pakistani terrorists ) यानी विदेशी आतंकवादियों के रूप में की गई है.
पुलिस का दावा है कि इस साल मारे गए 62 आतंकवादियों में से 32 आतंकवाद में शामिल होने के सिर्फ तीन महीने के भीतर मारे गए.
कश्मीर घाटी में पिछले साल यानी 2021 के पहले चार महीनों में 37 आतंकियों को ढेर किया गया था. उनमें कोई भी विदेशी आतंकवादी नहीं मारा गया था. वहीं पिछले पूरे साल में कुल 168 आतंकवादी ढेर किए गए. उनमें विदेशी आतंकवादियों की कुल संख्या सिर्फ 20 थी.
खुफिया जानकारियों का बेहतर समन्वय
रिपोर्ट्स के मुताबिक जम्मू कश्मीर में समय से सही और सटीक खुफिया जानकारी को सुरक्षाबलों की इस कामयाबी की सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है.
इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग और जम्मू-कश्मीर पुलिस लगातार बेहतर खुफिया जानकारी और आपसी समन्वय की बदौलत आतंकवादियों के मंसूबों को मटियामेट कर रहे हैं.
कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने कहा कि अच्छी खुफिया रिपोर्ट का फायदा ये हो रहा है कि आतंकवादियों के जीवित रहने की दर में भारी कमी आ रही है.
ड्रोन और ओवरग्राउंड वर्कर्स के जरिए आतंक
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट का दावा है कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान ने अब रणनीति बदल ली है.
उन्होंने बताया कि अब ड्रोन के जरिए छोटे हथियार भेजकर हमले किए जा रहे हैं. इसमें ओवरग्राउंड वर्कर्स का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में इन लोगों को पकड़ना भी मुश्किल हो जाता है.
क्योंकि ये सारे लोग फुलटाइम आतंकवादी नहीं होते हैं. ये अपने मिशन को अंजाम देने के बाद हथियार हैंडलर को वापस कर देते हैं.