नेट बैन और धारा 144 पर SC ने कहा- नेट अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा, 1 हफ्ते में हो समीक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में लागू धारा 144 और इंटरनेट पाबंदी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा है। बिना वजह से लंबे समय तक इंटरनेट को बंद नहीं रखा जा सकता।

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में लागू धारा 144 और इंटरनेट पाबंदी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा है। बिना वजह से लंबे समय तक इंटरनेट को बंद नहीं रखा जा सकता।

बता दें कि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस मामले में याचिका दायर की थी। जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी और धारा 144 से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘लंबे समय तक इंटरनेट को बंद नहीं किया जा सकता। इंटरनेट अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा है। यह आर्टिकल 19 के तहत आता है।’

धारा 144 पर सुप्रीम ने कहा कि देश में कहीं भी लगातार धारा 144 को लागू नहीं किया जा सकता है। ऐसा करना सरकार द्वारा शक्ति का दुरुपयोग करना होता है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि सरकार से कहा है कि वह पाबंदी से जुड़े फैसलों को सार्वजनिक करे।

इसके साथ ही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर पाबंदी सिर्फ तब लगाई जा सकती है, जब ऐसा करना जरूरी हो। लेकिन अनिश्चितकाल के लिए इंटरनेट पर बैन नहीं लगाया जा सकता है। एक हफ्ते में इस तरह की पाबंदियों की समीक्षा होनी चाहिए।

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