Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद सेशन कोर्ट से ट्रांस्फर होने के बाद आज पहली बार जिला अदालत में सुना गया। जिला जज अजय कुमार विश्वेश की कोर्ट में आज ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी विवाद पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की जिला अदालत को 8 हफ्ते में मामले में सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट के आसपास की चाक-चौबंध सुरक्षा की गई थी। कोर्ट रूम में दोनों पक्ष के वकील समेत मात्र 23 लोग मौजूद रहे।
सुनवाई में क्या हुआ?
अदालत ने आज की सुनवाई पूरी कर ली है। सुनावई के दौरान सभी पक्षों के आवेदन की जानकारी ली। मुस्लिम पक्ष के ऑर्डर 7, रूल 11 (मेंटनेबिलिटी) आवेदन के बारे में भी सुना। कोर्ट ने अलग याचिकाओं पर आगे की सुनवाई की प्रक्रिया के बारे में अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।
अदालत नियम 7 और 11 आवेदन के तहत सुनवाई पर कल फ़ैसला करेगी। बनारस की ज़िला अदालत हिन्दू महिला की उस यचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid Case) में पूजा करने के अधिकार देने की मांग की गई है।
हिंदू पक्ष ने क्या दलील दी?
सुप्रीम कोर्ट ने ज़िला अदालत से ही कहा था कि वो हिन्दू पक्ष की याचिका पर ख़ुद फ़ैसला करे। कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि इस मामले में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। उन्होंने कहा कि जिला न्यायधीश मंगलवार को वो इसपर फैसला सुनाएंगे की किस याचिका पर पहले सुनवाई की जाएगी।
मदन मोहन यादव ने आगे कहा कि, “हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया है कि आयोग की कार्रवाई पहले हुई है, इसलिए मुस्लिम पक्ष इस पर अपनी आपत्ति जताए। वीडियो औऱ फोटो न मिलने से आपत्ति दाखिल करने में हिंदू पक्ष की ओर से असमर्थन जताया।”
मुस्लिम पक्ष ने क्या दलील दी?
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद खान ने कोर्ट में मुस्लिम पक्ष का पक्ष रखते हुए कहा, “मुस्लिम पक्ष ने अदालत में याचिका दायर करके कहा है कि ये मुकदमा चलाने लायक नहीं है। इसलिए इसे खारिज किया जाए।”
मुस्लिम पक्ष ने दलील देते हुए कहा कि यहां सालों से नमाज होती रही है। मुस्लिम पक्ष की इस दलील के जवाब में हिन्दू पक्ष ने कहा कि, “भले ही यहां नमाज होती रही है। लेकिन स्थान का मूल करैक्टर मन्दिर का ही है।” वहीं आज कोर्ट में वुजू पर कोई बहस नहीं हुई। आपको बता दें कि आज सुनवाई के दौरान पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को कोर्ट में जाने की इजाजत नहीं दी गई।