सुप्रीम कोर्ट ने केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए सरकार को दिए टैक्स न वसूलने वाले आदेश पर रोक लगा दी है. दरअसल, केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस के कारण अधिकारियों को 6 अप्रैल तक टैक्स तथा बैंक का बकाया न वसूलने के आदेश दिए थे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के कारण अधिकारियों को 6 अप्रैल तक जीएसटी और अन्य तरह के टैक्स तथा बैंक का बकाया न वसूलने के लिए कहने वाले केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. अब बैंक व टैक्स संस्थाएं अपना बकाया वसूल सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालासुप्रीम कोर्ट ने केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए सरकार को दिए टैक्स न वसूलने वाले आदेश पर रोक लगा दी है. दरअसल, केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस के कारण अधिकारियों को 6 अप्रैल तक टैक्स तथा बैंक का बकाया न वसूलने के आदेश दिए थे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के कारण अधिकारियों को 6 अप्रैल तक जीएसटी और अन्य तरह के टैक्स तथा बैंक का बकाया न वसूलने के लिए कहने वाले केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. अब बैंक व टैक्स संस्थाएं अपना बकाया वसूल सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालात को लेकर सरकार सचेत है और किसी भी तरह की मुश्किल को दूर करने के लिए सरकार कदम उठा सकती है. उल्लेखनीय है कि केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारियों को यह आदेश दिया था कि कोरोना के प्रकोप की वजह से वे बकाया वसूली की प्रक्रिया को 6 अप्रैल तक रोक दें.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने इस बारे में हाईकोर्ट में लंबित सभी सुनवाइयों पर रोक लगा दी. कोर्ट ने इस बारे में भारत सरकार का बयान भी दर्ज किया. केंद्र लोगों के सामने आ रही मुश्किल से वाकिफ है और लोगों को किसी तरह की कठिनाई में डाले बिना कोई उपयुक्त रास्ता निकालेगी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले को जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ के सामने उठाते हुए मांग की थी कि केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ तत्काल सुनवाई की जाए. मेहता ने कहा, हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस की वजह से टैक्स के भुगतान को टालने का आदेश दिया है, जबकि लोग ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं. इसलिए इस तरह के आदेश की जरूरत नहीं थी. जो लोग खुद टैक्स देने को तैयार हैं उन्हें रोकना नहीं चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, लोगों को टैक्स भुगतान करने से रोकने का कोर्ट का आदेश नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार हर महीने करीब 80,000 करोड़ रुपये जीएसटी से प्राप्त कर रही है. इससे कर्मचारियों की तनख्वाह दी जाती है. सरकार कोरोना के हालात से वाकिफ है और किसी को भी मुश्किल में नहीं डाल रही. त को लेकर सरकार सचेत है और किसी भी तरह की मुश्किल को दूर करने के लिए सरकार कदम उठा सकती है.
उल्लेखनीय है कि केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारियों को यह आदेश दिया था कि कोरोना के प्रकोप की वजह से वे बकाया वसूली की प्रक्रिया को 6 अप्रैल तक रोक दें. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने इस बारे में हाईकोर्ट में लंबित सभी सुनवाइयों पर रोक लगा दी. कोर्ट ने इस बारे में भारत सरकार का बयान भी दर्ज किया. केंद्र लोगों के सामने आ रही मुश्किल से वाकिफ है और लोगों को किसी तरह की कठिनाई में डाले बिना कोई उपयुक्त रास्ता निकालेगी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले को जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ के सामने उठाते हुए मांग की थी कि केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ तत्काल सुनवाई की जाए. मेहता ने कहा, हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस की वजह से टैक्स के भुगतान को टालने का आदेश दिया है, जबकि लोग ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं. इसलिए इस तरह के आदेश की जरूरत नहीं थी. जो लोग खुद टैक्स देने को तैयार हैं उन्हें रोकना नहीं चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, लोगों को टैक्स भुगतान करने से रोकने का कोर्ट का आदेश नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार हर महीने करीब 80,000 करोड़ रुपये जीएसटी से प्राप्त कर रही है. इससे कर्मचारियों की तनख्वाह दी जाती है. सरकार कोरोना के हालात से वाकिफ है और किसी को भी मुश्किल में नहीं डाल रही.