New Delhi: कृषि कानूनों (Farmers Protest 2020) को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान संगठन पीछे हटने को तैयार नही है। बुधवार को पूरा दिन बैठकों के बावजूद कोई हल नही निकला। साथ ही किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि प्रस्तावों को अच्छी तरीके से पढ़ने के बाद इसे खारिज करने का फैसला कर दिया है। हालांकि ये जरूर कहा गया कि अगर केंद्र सरकार आगे कोई प्रस्ताव भेजती है, तो उस पर विचार किया जा सकता है। किसान यूनियनों ने अगले हफ्ते से आंदोलन को पूरे देश में तेज (Farmers Protest 2020) करने की चेतावनी दे दी है।
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बता दें किसान सरकार के प्रति काफी बहुत ज्यादा नाराज हो चुके है। उन्होंने देशभर में रिलायंस और अडानी के उत्पादों का भी बहिष्कार करने की बात कह (Farmers Protest 2020) दी। साथ ही 14 दिसंबर को देशभर में सभी जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन करने की बात कही है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत दूसरे राज्यों में जिला कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर धरने दिए जाएंगे। जो लोग धरने में शामिल नहीं होंगे, वे दिल्ली कूच करेंगे। यानी दिल्ली को पूरी तरह से घेरने का प्लान किसान संगठन कर चुके है।
जो प्रस्ताव आया है उसमें बिल वापसी की बात नहीं है। सरकार संशोधन चाहती है। संशोधन के लिए किसान तैयार नहीं है। हम चाहते है पूरा बिल वापस हो। बिल वापसी के अलावा कोई रास्ता निकलता नज़र नहीं आ रहा है। सरकार तीन कृषि बिल लाई है उसी तरह से MSP को लेकर भी बिल लाए: राकेश टिकैत, किसान नेता pic.twitter.com/nXNtgaNgZs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 10, 2020
दरअसल, किसान (Farmers Bill 2020) नेताओं ने यह भी कहा कि 12 तारीख को देशभर के सभी टोल प्लाजा को फ्री कर दिया जाएगा। इसके अलावा, उद्योगपति- अडानी, अंबानी से जुड़े उत्पादों का बहिष्कार भी किया जाएगा। किसानों ने कहा कि वे रिलायंस जियो के सिम का भी बहिष्कार करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि वह बीजेपी के सभी मंत्रियों का भी बहिष्कार कर देंगे।
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कृषि कानून (Farmers Bill 2020) के पारित होने के बाद से किसानों का मानना है कि ये कानून कॉपोरेट जगत को बढ़ावा देगा। जिसकी वजह से किसानों का शोषण होने का खतरा है। जानकारी के अनुसार, कॉपोरेट की कई संस्थानों में पहले से ही बड़ी खरीदारियां हो चुकी है। बता दें 23 अलग-अलग फसलों की खरीदारी करनी होती है, लेकिन सरकार सिर्फ गेहूं और चावल खरीदता है।
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