Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में दशकों पुराने बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid Demolition) केस में सीबीआई की विशेष अदालत अब अपना अंतिम फैसला सुनाएगी। बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष कोर्ट का फैसला 27 साल तक चली सुनवाई के बाद 30 सितंबर को आएगा। कोर्ट ने आदेश जारी किया है कि फैसले वाले दिन सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहना अनिवार्य होगा।
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सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने बुधवार को इस मामले में (Babri Masjid Demolition) अंतिम फैसला देने की तारीख तय की है। सीबीआई ने इस केस में 49 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में कोर्ट में सभी 32 आरोपियों को मौजूद रहना होगा। इनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती सहित अन्य लोगों के नाम शामिल हैं।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई करने वाली विशेष सीबीआई अदालत की समय सीमा को 30 सितंबर तक बढ़ा दिया था। अयोध्या मामले में फैसला सुनाने की शीर्ष अदालत की समय सीमा 31 अगस्त को समाप्त हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई 2019 को अयोध्या मामले में आपराधिक मुकदमे को पूरा करने के लिए छह महीने की समय सीमा बढ़ा दी थी।
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बता दें कि हिंदू पक्ष का दावा था कि अयोध्या में विवादित ढांचा का निर्माण मुगल शासक बाबर ने 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर बने रामलला के मंदिर को तोड़कर करवाया था, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी। वर्ष 1885 में पहली बार यह मामला अदालत में पहुंचा था। भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने 90 के दशक में राम रथ यात्रा निकाली और तब राम मंदिर आंदोलन ने जोर पकड़ा। छह दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचा तोड़ दिया और तबसे ही यह मामला कोर्ट में चल रहा है।