यूपी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को लखनऊ में लगे पोस्टर मामले में अपना फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा 16 मार्च तक अनुपालन आदेश के साथ हल्फनामा दें। लखनऊ के कमिश्नर और DM सभी पोस्टर हटाए। नागरिकता संशोधन कानून प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपियों का पोस्टर हटाने का आदेश दिया है।
Allahabad High Court has ordered to remove the hoardings put up by Uttar Pradesh government, with names, addresses and photos of those who were accused of violence during protests against #CitizenshipAmendmentAct
— ANI UP (@ANINewsUP) March 9, 2020
जानकारी के मुताबिक लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए थे। वहीं, इस मामले में चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि लखनऊ के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर 16 मार्च तक होर्डिंग्स हटवाएं।
आपको बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था। इस मामले में रविवार को सुनवाई के दौरान अपनी सख्त टिप्पणी में हाईकोर्ट ने कहा था कि कथित नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाने की सरकार की कार्रवाई बेहद अन्यायपूर्ण है। यह संबंधित लोगों की आजादी का हनन है।
आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में कथित रूप से शामिल रहे 57 लोगों के नाम और पते के साथ शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर कुल 100 होर्डिग्स लगाए गए हैं। ये सभी लोग राज्य की राजधानी लखनऊ के हसनगंज, हजरतगंज, कैसरबाग और ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के हैं। प्रशासन ने पहले ही 1.55 करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए इन सभी लोगों को वसूली के लिए नोटिस जारी किया है।